परिभाषा – क्रिया के जिस रूप से आने वाले समय का बोध होता है , उसे भविष्य काल कहते है ।
अर्थात काल का वह रूप जिसमें क्रिया के आने वाले समय का बोध होना पाया जाता है , भविष्य काल कहलाता है ।
पहचान – जिन वाक्यों के अन्त में गा , गे , गी इत्यादि शब्द आते है वे वाक्य भविष्य काल के होते है ।
भविष्य काल के उदाहरण –
- राम जयपुर जाएगा ।
- वह बाहर जाएगा ।
- वह घर जाएगा ।
- राधा खेलने जाऐगी ।
- सुमन खाना पकाऐगी ।
- राम गाना गाऐगी ।
- माली पौधों में पानी देगा ।
- सब बच्चे स्कूल जाऐगा ।
भविष्य काल के भेद –
भविष्य काल तीन प्रकार के होते है –
- सामान्य भविष्य काल
- सम्भाव्य भविष्य काल
- आज्ञार्थक भविष्य काल
- सामान्य भविष्य काल – क्रिया के जिस रूप कार्य के सामान्य रूप से भविष्य में होने का पता चले , सामान्य भविष्य काल कहलाता है ।
पहचान – जिन वाक्यों के अंत में एगा , एगी , एगे आदि शब्द आये तो वाक्य सामान्य भविष्य काल के होते है।
उदाहरण –
- राधा स्कूल जाएगी ।
- राम किताब पढ़ेगा ।
- राम जयपुर जाएगा ।
- हम सब घूमने जाएंगे ।
- गाय दुध देगी ।
- आज बारिश होगी ।
2. सम्भाव्य भविष्य काल – क्रिया के जिस रूप से भविष्य में कार्य होने की संंभावना पाई जाती है , उसे सम्भाव्य भविष्य काल कहते है ।
पहचान – वाक्य के अंत में ए , ऐं , ओ , ऊँ आदि शब्द हो तो वाक्य सम्भाव्य भविष्य काल के होते है ।
उदाहरण –
- शायद वह कल जाए ।
- वे शायद बाहर जाए ।
- अब वह क्या करे ।
- शाय्द आज बारिश आयें ।
- शायद मैं आज बाजार जाऊँ ।
3. आज्ञार्थक भविष्य काल – क्रिया के जिस रूप से आने वाले समय में कार्य पूरा करने की आज्ञा का बोध होता है , उसे आज्ञार्थक भविष्य काल कहते है ।
पहचान – वाक्य के अंत में इएगा आए तो वाक्य आज्ञार्थक भविष्य काल का होता है ।
उदाहरण –
- आप हमारे घर आइएगा ।
- आप बाहर अवश्य जाइएगा ।