वाच्य का शाब्दिक अर्थ है – ” जो कहा जाने को हो अथवा जो बोलने योग्य हो। “
परिभाषा – क्रिया का वह प्रयोग जिसके द्वारा क्रिया- विधान के विषय का बोध होता है, वाच्य कहलाता है।
अथवा ” वह रूप-रचना जिससे यह पता चले की क्रिया को मूल रूप से चलने वाला कर्त्ता है या कर्म।
जैसे-
► रोहन से लिखा नहीं जाता।
► राधा पुस्तक पढ़ता है।
वाच्य के भेद ( Kinds of Voice ) –
वाच्य के मुख्यतः तीन प्रकार के होते है –
कर्तृवाच्य ( Active voice )
कर्मवाच्य ( Passive Voice )
भाववाच्य ( Impersonal Voice )
कर्तृवाच्य ( Active voice ) – ऐसे वाक्य जिनमे कर्त्ता की प्रधानता होती है और क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष कर्त्ता के अनुसार होती है।
कर्तृवाच्य वाक्यों में अकर्मक तथा सकर्मक दोनों क्रियाओ का प्रयोग होता है।
जैसे–
► पिताजी आ रहे है।
► रोहन खेल रहा है।
► राहुल ने पुस्तक पढ़ी।
► अनीता कहानी लिख रही है।
( उपर्युक्त वाक्यों में ‘पिताजी’ , ‘रोहन’ ,’राहुल’ , ‘अनीता ‘ कर्त्ता है। अतः वाक्य में इन्ही कर्त्ता के लिंग , वचन के अनुसार क्रिया का प्रयोग हुआ है , इसलिए यह कर्तृवाच्य का प्रयोग है।
कर्मवाच्य ( Passive Voice ) – इन वाक्यों में कर्म की प्रधानता होती है ,अतः इसमें क्रिया के लिंग और वचन कर्म के अनुसार होते है।
इन वाक्यों में कर्त्ता के बाद ‘से’ अथवा ‘द्वारा’ का प्रयोग होता है।
जैसे-
► रोहन द्वारा यह कविता लिखी गयी।
► राहुल के द्वारा पुस्तक पढ़ी जाती है।
► राधा से पेन टूट गयी।
► कर्मवाच्य में ‘कर्त्ता ‘ का लोप हो जाता है।
जैसे-
► आपका काम हो जायेगा।
► मकरसक्रांति जनवरी में मनाई जाती है
नोट – कर्मवाच्य वाक्यों में केवल सकर्मक या व्युत्पन्न क्रियाएँ होती है।
असमर्थता सूचक कर्मवाच्य वाक्यों में भी सकर्मक क्रिया ही प्रयुक्त होती है।
जैसे-
► आइना टूट गया।
► खाना बन गया।
( ये व्युत्पन्न अकर्मक क्रियाओ के उदाहरण है )
► राधा से चला नहीं जाता।
► पूजा से भोजन नहीं किया जाता।
( इन वाक्यों में असमर्थता दिखाई देती है। )
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भाववाच्य ( Impersonal Voice ) – इन वाक्यों में क्रिया के भाव की प्रधानता होती है, तथा भाववाच्य में अकर्मक क्रिया का प्रयोग होता है।
अर्थात ” अकर्मक क्रिया का कर्मवाच्य ही भाववाच्य होता है। “
जैसे-
►राधा से लिखा नहीं जाता।
►दादी से देखा नहीं जाता।
►राम से सोया नहीं जाता।
विशेष – इन वाक्यों में कर्त्ता तथा कर्म की प्रधानता नहीं होती।
इनमें मुख्य रूप से अकर्मक क्रिया का प्रयोग होता है।
इनमें मुख्यतः निषेधार्थक वाक्य प्रयुक्त होते है।
वाच्यो की पहचान (Identification of Voice ) –
कर्तृवाच्य | कर्मवाच्य | भाववाच्य |
कर्त्ता के साथ ‘से’ या होता है। | कर्त्ता के साथ ‘से’ या ‘के द्वारा’ विभक्ति प्रयुक्त होती है। | कर्त्ता के साथ ‘से’ या ‘के द्वारा ‘विभक्ति प्रयुक्त होती है। |
(कर्त्ता के साथ ‘ने’ विभक्ति ) | मुख्य क्रिया सकर्मक होती है। | क्रिया अकर्मक होती है,तथा क्रिया सदा एकवचन पुल्लिंग होती है। |
वाच्य परिवर्तन ( Change of Voice ) –
कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य में परिवर्तन
कर्तृवाच्य | कर्मवाच्य |
राधा खाना बनाती है। | राधा के द्वारा खाना बनाया जाता है। |
राम ने पत्र लिखा। | राम के द्वारा पत्र लिखा गया। |
श्याम ने पुस्तक पढ़ी। | श्याम के द्वारा पुस्तक पढ़ी गयी। |
पापा ने अख़बार पढ़ा। | पापा के द्वारा अख़बार पढ़ा गया। |
कर्तृवाच्य से भाववाच्य में परिवर्तन
कर्तृवाच्य | भाववाच्य |
रोहन हँसता है | रोहन से हँसा जाता है। |
पवन नहीं चलता। | पवन से चला नहीं जाता है। |
रोहन नहाया। | रोहन से नहाया गया। |
बच्चा खूब रोया। | बच्चे से खूब रोया गया। |
भाववाच्य / कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य में परिवर्तन
भाववाच्य/ कर्मवाच्य | कर्तृवाच्य |
प्रिया द्वारा कविता पढ़ी जाती है। | प्रिया कविता पढ़ती है। |
निशा द्वारा कहानी लिखी गयी। | निशा ने कविता लिखी। |
बच्चो के द्वारा खूब पढ़ा गया। | बच्चो ने खूब पढ़ा। |
पुलिस द्वारा जनता की मदद की गयी। | पुलिस ने जनता की मदद की। |