अकर्मक क्रिया – जिस क्रिया के द्वारा कार्य का फल सीधा कर्ता पर पड़ता है ,वह अकर्मक क्रिया कहलाती है। अर्थात जब किसी वाक्य में कर्म के नहीं होने पर भी कर्ता और क्रिया से ही वाक्य का भावार्थ स्पष्ट हो जाता है तो वह अकर्मक क्रिया कहलाती है।
अथवा
अकर्मक क्रिया का मतलब होता है कर्म के बिना। जिन क्रियाओं को कर्म की आवश्यकता नहीं पड़ती या जो क्रिया प्रश्न पूछन पर कई उत्तर नहीं देते उन्हें अकर्मक क्रिया कहते हैं।
जैसे:-
कूदना, सोना, तैरना, ठहरना,मरना, जीना, बरसाना, खेलना, चमकना,जगाना एम बैठना आदि।
अकर्मक क्रिया उदाहरण :-
✦ वे कूदते है।
✦ पक्षी उड़ रहे है।
✦ चूहे उछल रहे है।
✦ राधा दर गई है।
✦ रेलगाड़ी चलती है।
✦ कविता हंसती है।
✦ सीमा नाचती है।
✦ बच्चा हँसता है।
✦ राम सोता है।
✦ घोड़ा दौड़ता है।
✦ चोर भाग रहा है।
उपर्युक्त वाक्यों में कर्म का प्रयोग नहीं हुआ है फिर भी वाक्य का पूर्ण भाव स्पष्ट हो रहा है
अतः इन वाक्यों में प्रयुक्त सभी क्रियाएं अकर्मक है।
क्रिया के अकर्मक एवं सकर्मक रूप की पहचान करना –
क्रिया के अकर्मक एवं सकर्मक रूप की पहचान करने के लिए वाक्य के क्रिया रूप से पहले ‘क्या’ शब्द लिखकर प्रश्न करने पर यदि वहाँ ‘क्या’ कोई उत्तर दिया जा सकता है तो क्रिया हमेशा ‘सकर्मक’ मानी जाती है तथा यदि ‘क्या’ का कोई भी उतर नहीं दिया जाता है तो वहाँ ‘अकर्मक क्रिया’ मानी जाती है।
सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया में अंतर:-
सकर्मक क्रिया | अकर्मक क्रिया |
इस क्रिया में कर्ता, क्रिया और कर्म तिनो उपस्थित होते हैं। | इस क्रिया में कर्ता और क्रिया तो होते हैं, लेकिन कर्म नहीं होता है। |
इसमें कर्ता द्वारा किए गये कार्य से कोई दूसरी चीज प्रभावित होती हैं। | इसमें कर्ता द्वारा किये गए कार्य से किसी चीज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। |
उदाहरण- राहुल क्रिकेट खेलता है | संजय पड़ता है। |