अन्योक्ति अलंकार किसे कहते हैं? | Anyokti alankar की परिभाषा एवं उदाहरण

अन्योक्ति अलंकार परिभाषा,उदाहरण || Anyokti Alankar in hindi – अन्योक्ति अलंकार अर्थालंकार के अंतर्गत आता है, इस पोस्ट में हम अन्योक्ति अलंकार की परिभाषा तथा अन्योक्ति अलंकार के प्रकार के बारे में पढ़ेंगे। इस टॉपिक से सम्बंधित समस्त जानकारी आपको इस लेख में मिल जाएगी। इस पोस्ट के अंत में आपके लिए परीक्षापयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्न दिए गए है।
अन्योक्ति अलंकार की परिभाषा –
परिभाषा – जहाँ पर उपमान के वर्णन के माध्यम से उपमेय का वर्णन हो, वहाँ पर उपमान अन्योक्ति अलंकार होता है। इस अलंकार में किसी बात सीधे-सादे रूप में नहीं कहकर किसी के माध्यम से कही जाती है। जहाँ किसी वस्तु या व्यक्ति को लक्ष्य कर कही जाने वाली बात दूसरे के लिए कही जाए, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है;
जहां अप्रस्तुत के वर्णन के द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया जाए वहां अन्योक्ति अलंकार होता है।
अप्रस्तुत अर्थ वह होता है जो प्रसंग के विषय नहीं होता परंतु जो प्रस्तुत अर्थ के समान होता है।
अन्योक्ति अलंकार के उदाहरण –
काल कराल परै कितनो,पै मराल न ताकत तुच्छ तलैया। यहां कवि किसी मनस्वी पुरुष का वर्णन करना चाहता है जो विपत्ति के कठिन से कठिन समय में भी क्षुद्रता का आश्रय ग्रहण नहीं करता। पर मनस्वी पुरुष का प्रत्यक्ष वर्णन न करके हंस के वर्णन द्वारा उस का बोध कराया गया है। यहां मनस्वी पुरुष का अर्थ प्रस्तुत है और इसका अर्थ है अप्रस्तुत है।
नहिं पराग नहिं मधुर मधु नहिं विकास इहि काल । अली कली ही सौं बिध्यौं आगे कौन हवाल ।।