अन्योक्ति अलंकार : परिभाषा, भेद और उदाहरण | Anyokti Alankar in Hindi – इस आर्टिकल में हम अन्योक्ति अलंकार, अन्योक्ति अलंकार किसे कहते हैं, अन्योक्ति अलंकार के भेद/प्रकार और उनके प्रकारों को उदाहरण के माध्यम से पढ़ेंगे।इस टॉपिक से सभी परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते है। हम यहां पर अन्योक्ति अलंकार के सभी भेदों/प्रकार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी लेके आए है। Hindi में अन्योक्ति अलंकार से संबंधित बहुत सारे प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं और राज्य एवं केंद्र स्तरीय बोर्ड की सभी परीक्षाओं में यहां से questions पूछे जाते है। अन्योक्ति अलंकार इन हिंदी के बारे में उदाहरणों सहित इस पोस्ट में सम्पूर्ण जानकारी दी गई है। तो चलिए शुरू करते है –
अन्योक्ति अलंकार की परिभाषा | Anyokti alankar ki paribhasha
अन्योक्ति अलंकार की परिभाषा – जहाँ पर उपमान के वर्णन के माध्यम से उपमेय का वर्णन हो, वहाँ पर उपमान अन्योक्ति अलंकार होता है। इस अलंकार में किसी बात सीधे-सादे रूप में नहीं कहकर किसी के माध्यम से कही जाती है। जहाँ किसी वस्तु या व्यक्ति को लक्ष्य कर कही जाने वाली बात दूसरे के लिए कही जाए, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है;
जहां अप्रस्तुत के वर्णन के द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया जाए वहां अन्योक्ति अलंकार होता है।
अप्रस्तुत अर्थ वह होता है जो प्रसंग के विषय नहीं होता परंतु जो प्रस्तुत अर्थ के समान होता है।
अन्योक्ति अलंकार किसे कहते हैं ? Anyokti alankar kise kahate hain
अन्योक्ति अलंकार किसे कहते हैं ? Anyokti alankar kise kahate hain
अन्योक्ति अलंकार का अर्थ – अन्य + उक्ति (अन्य = अन्य / दूसरे के लिए। उक्ति = कथन। अर्थात अन्य दूसरे के लिए कथन।
जहाँ पर किसी उक्ति के माध्यम से किसी अन्य को कोई बात कही जाती है, वहाँ पर ‘अन्योक्ति अलंकार’ होता है।
अर्थात जिसे कुछ कहना हो, उसे स्पष्ट शब्दों में न कहकर अन्य को संबोधित करके इस प्रकार से कहा जाए कि उसे वास्तविक बात समझ में आ जाए, तो उसे ‘अन्योक्ति अलंकार’ कहते है।
अप्रस्तुत अर्थ वह होता है जो प्रसंग के विषय नहीं होता परंतु जो प्रस्तुत अर्थ के समान होता है।
अन्योक्ति अलंकार के उदाहरण | Anyokti alankar ke Udaharan
काल कराल परै कितनो,पै मराल न ताकत तुच्छ तलैया। यहां कवि किसी मनस्वी पुरुष का वर्णन करना चाहता है जो विपत्ति के कठिन से कठिन समय में भी क्षुद्रता का आश्रय ग्रहण नहीं करता। पर मनस्वी पुरुष का प्रत्यक्ष वर्णन न करके हंस के वर्णन द्वारा उस का बोध कराया गया है। यहां मनस्वी पुरुष का अर्थ प्रस्तुत है और इसका अर्थ है अप्रस्तुत है।
नहिं पराग नहिं मधुर मधु नहिं विकास इहि काल । अली कली ही सौं बिध्यौं आगे कौन हवाल ।।
जिन दिन देखे वे कुसुम, गई सुबीति बहार। अब अलि रही गुलाब में, अपत कँटीली डार।।
भयो सरित पति सलिल पति, अरु रतनन की खानि। कहा बड़ाई समुद्र की, जु पै न पीवत पानि।
करि फुलेल को आचमन, मीठो कहत सराहि। ए गंधी मतिमंद तू, अतर दिखावत काहि।।
इहिं आस अटक्यो रहत, अली गुलाब के मूल अइहैं फेरि बसंत रितु, इन डारन के मूल।
माली आवत देखकर, कलियन करि पुकार। फूले फूले चुनि लिए, काल हमारि बार।।
दोस्तो हमने इस आर्टिकल में Anyokti Alankar in Hindi के साथ – साथ Anyokti Alankar kise kahate hain, Anyokti Alankar ke bhed के बारे में पढ़ा। हमे उम्मीद है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। आपको यहां Hindi Grammar के सभी टॉपिक उपलब्ध करवाए गए। जिनको पढ़कर आप हिंदी में अच्छी पकड़ बना सकते है।
शब्दालंकार के भेद | shabdalankar ke bhed
1. अनुप्रास अलंकार
2. यमक अलंकार
3. श्लेष अलंकार
4. पुनरुक्ति अलंकार
5. विप्सा अलंकार
6. वक्रोक्ति अलंकार
अर्थालंकार के भेद | Arthalankar ke bhed
1.उपमा अलंकार
2.रूपक अलंकार
3.उत्प्रेक्षा अलंकार
4. अतिशयक्ति अलंकार
5. मानवीकरण अलंकार
6. सन्देह अलंकार
7. दृष्टान्त अलंकार
8. दिपक अलंकार
9. उपमेयोपमा अलंकार
10. प्रतीप अलंकार
11. अनन्वय अलंकार
12. भ्रांतिमान अलंकार
13. विशेषोक्ति अलंकार
14. विभावना अलंकार
15. त्यतिरेक अलंकार
16. अपहृति अलंकार
17. अर्थान्तरन्यास अलंकार
18.उल्लेख अलंकार
19. विरोधाभाष अलंकार
20.असंगति अलंकार
21.काव्यलिंग अलंकार
अनुप्रास अलंकार के भेद-
(i) छेका अनुप्रास
(ii) वृत्या अनुप्रास
(iii) श्रुत्या अनुप्रास
(iv) अन्तयानुप्रास
(v) लाटानुप्रास