अतिशयोक्ति अलंकार किसे कहते है?|परिभाषा, भेद एवं इसके उदाहरण
अतिशयोक्ति अलंकार (Atishayokti Alankar )
अतिशयोक्ति अलंकार की परिभाषा –
जहां किसी वस्तु या बात का वर्णन इतना बढ़ा चढ़ा कर किया जाये कि लोकसीमा का उल्लंघन सा प्रतीत हो, वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
अतिशयोक्ति शब्द ही ‘अतिशय’ ‘उक्ति’ से बना है।
जिसका अर्थ ही है – उक्ति को अतिशयता (बढ़ा चढ़ा कर) से प्रस्तुत करना।
अतिशयोक्ति अलंकार के उदाहरण –
✦ 'चलो धनुष से वाण,साथ ही शत्रु सैन्य के प्राण चले।' स्पष्टीकरण - धनुष से बाणों के चलने के साथ ही शत्रु-सैन्य के प्राणों का शरीर से चलना साथ हो यहां पर यह बात बढ़ा-चढ़ा कर वर्णन किया गया गया है अतः यह अतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण है
✦ हनुमान की पूंछ में लगन न पाई आग, लंका सिगरी जल गई गए निशाचर भाग। स्पष्टीकरण - ऊपर दिए गए उदाहरण में कहा गया है कि अभी हनुमान की पूंछ में आग लगने से पहले ही पूरी लंका जलकर राख हो गयी और सारे राक्षस भाग खड़े हुए। यह बढ़ा-चढ़ा कर वर्णन किया गया गया अतः यह अतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण है।
✦ कढ़त साथ ही म्यान तें, असि रिपु तन ते प्रान। स्पष्टीकरण - म्यान से निकलते ही शत्रुओं के प्राणों का निकलना अतिशयोक्ति है।
✦ आगे नदियां पड़ी अपार घोडा कैसे उतरे पार। राणा ने सोचा इस पार तब तक चेतक था उस पार।। स्पष्टीकरण - महाराणा प्रताप के सोचने की क्रिया ख़त्म होने से पहले ही चेतक ने नदियाँ पार कर दी।यह महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक की अतिशयोक्ति है एवं इस तथ्य को लोक सीमा से बहुत बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया गया है। अतः यह उदाहरण अतिशयोक्ति अलंकार का हैं।
✦ चंचला स्नान कर आये,चन्द्रिका पर्व में जैसे। उस पावन तन की शोभा,आलोक मधुर थी ऐसे।। स्पष्टीकरण - नायिका के रूप एवं सौंदर्य का अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन किया गया है। अतः यह उदाहरण अतिशयोक्ति अलंकार का है।
अतिशयोक्ति अलंकार के भेद –
अतिशयोक्ति अलंकार के सात भेद बतायें गए है –
1. चपलातिशयोक्ति
2. सम्बंधातिशयोक्ति
3. असम्बंधातिशयोक्ति
4. अक्रमातिशयोक्ति
5. भेदकातिशयोक्ति
6. अत्यंतातिशयोक्ति
7. रूपकातिशयोक्ति