इस आर्टिकल में हम अतिशयोक्ति अलंकार किसे कहते कहते हैं, अतिशयोक्ति अलंकार के भेद/प्रकार और उनके प्रकारों को उदाहरण के माध्यम से पढ़ेंगे।इस टॉपिक से सभी परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते है। हम यहां पर अतिशयोक्ति अलंकार के सभी भेदों/प्रकार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी लेके आए है। Hindi में अतिशयोक्ति अलंकार से संबंधित बहुत सारे प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं और राज्य एवं केंद्र स्तरीय बोर्ड की सभी परीक्षाओं में यहां से questions पूछे जाते है। अतिशयोक्ति अलंकार इन हिंदी के बारे में उदाहरणों सहित इस पोस्ट में सम्पूर्ण जानकारी दी गई है। तो चलिए शुरू करते है –
अतिशयोक्ति अलंकार किसे कहते है ? Atishayokti Alankar Kise Kahate hain
जहां किसी वस्तु या बात का वर्णन इतना बढ़ा चढ़ा कर किया जाये कि लोकसीमा का उल्लंघन सा प्रतीत हो, वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
अतिशयोक्ति शब्द ही ‘अतिशय’ ‘उक्ति’ से बना है।
जिसका अर्थ ही है – उक्ति को अतिशयता (बढ़ा चढ़ा कर) से प्रस्तुत करना।
अतिशयोक्ति अलंकार के उदाहरण | atishyokti alankar ke udaharan
✦ 'चलो धनुष से वाण,साथ ही शत्रु सैन्य के प्राण चले।' स्पष्टीकरण - धनुष से बाणों के चलने के साथ ही शत्रु-सैन्य के प्राणों का शरीर से चलना साथ हो यहां पर यह बात बढ़ा-चढ़ा कर वर्णन किया गया गया है अतः यह अतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण है
✦ हनुमान की पूंछ में लगन न पाई आग, लंका सिगरी जल गई गए निशाचर भाग। स्पष्टीकरण - ऊपर दिए गए उदाहरण में कहा गया है कि अभी हनुमान की पूंछ में आग लगने से पहले ही पूरी लंका जलकर राख हो गयी और सारे राक्षस भाग खड़े हुए। यह बढ़ा-चढ़ा कर वर्णन किया गया गया अतः यह अतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण है।
✦ कढ़त साथ ही म्यान तें, असि रिपु तन ते प्रान। स्पष्टीकरण - म्यान से निकलते ही शत्रुओं के प्राणों का निकलना अतिशयोक्ति है।
✦ आगे नदियां पड़ी अपार घोडा कैसे उतरे पार। राणा ने सोचा इस पार तब तक चेतक था उस पार।। स्पष्टीकरण - महाराणा प्रताप के सोचने की क्रिया ख़त्म होने से पहले ही चेतक ने नदियाँ पार कर दी।यह महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक की अतिशयोक्ति है एवं इस तथ्य को लोक सीमा से बहुत बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया गया है। अतः यह उदाहरण अतिशयोक्ति अलंकार का हैं।
✦ चंचला स्नान कर आये,चन्द्रिका पर्व में जैसे। उस पावन तन की शोभा,आलोक मधुर थी ऐसे।। स्पष्टीकरण - नायिका के रूप एवं सौंदर्य का अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन किया गया है। अतः यह उदाहरण अतिशयोक्ति अलंकार का है।
अतिशयोक्ति अलंकार के 10 उदाहरण | atishyokti alankar ke 10 udaharan
- हनुमान की पूंछ में लगन न पाई आग
लंका सिगरी जल गई गए निशाचर भाग। - पद पाताल शीश अजधामा अपर
लोक अंग-अंग विश्राम। - अधर लगे हैं आनि कहिके प्रयाना पान
चाहत चलन ये संदेसौ लै सुजान को। - आगे नदियां पड़ी अपार घोडा कैसे उतरे पार।
राणा ने सोचा इस पार तब तक चेतक था उस पार।। - धनुष उठाया ज्यों ही उसने, और चढ़ाया उस पर बाण ।
धरा–सिन्धु नभ काँपे सहसा, विकल हुए जीवों के प्राण।। - भूप सहस दस एकहिं बारा।
लगे उठावन टरत न टारा।। - दादुर धुनि चहुँ दिशा सुहाई।
बेद पढ़हिं जनु बटु समुदाई ।। - कहती हुई यूँ उत्तरा के नेत्र जल से भर गए।
हिम कणों से पूर्ण मानों हो गए पंकज नए।। - बाँधा था विधु को किसने इन काली ज़ंजीरों में,
मणिवाले फणियों का मुख क्यों भरा हुआ है हीरों से। - मैं बरजी कैबार तू, इतकत लेती करौंट।
पंखुरी लगे गुलाब की, परि है गात खरौंट।
अतिशयोक्ति अलंकार के 20 उदाहरण | atishyokti alankar ke 20 udaharan
उदहारण | |
1. | हनुमान की पूंछ में लगन न पाई आग, लंका सिगरी जल गई गए निशाचर भाग। |
2. | अधर लगे हैं आनि कहिके प्रयाना पान चाहत चलन ये संदेसौ लै सुजान को। |
3. | दादुर धुनि चहुँ दिशा सुहाई। बेद पढ़हिं जनु बटु समुदाई ।। |
4. | आगे नदिया पड़ी अपार घोड़ा कैसे उतरे पार। राणा ने सोचा इस पार तबतक चेतक था उस पार। । |
5. | माली आवत देखकर कलियन करे पुकार। फूली फूली चुनी लिए कालह हमारी बार।। |
6. | जिस वीरता से शत्रुओं का सामना उसने किया। असमर्थ हो उसके कथन में मौन वाणी ने लिया।। |
7. | कागद पर लिखत न बनत कहत संदेसु लाजात। कहिहै सब तेरो हियो मेरे हिय की बात। । |
8. | पत्रा ही तिथि पाइये वा घर के चहुँ पास। नित्यप्रति पून्यौईं रहै आनन ओप उजास।। |
9. | देख लो साकेत नगरी है यही स्वर्ग से मिलने गगन में जा रही है।। |
10. | कढ़त साथ ही म्यान तें, असि रिपु तन ते प्रान। |
11. | बानी जगरानी की उदारता जाइ ऐसी मति उदित उदार कौन की भई। |
12. | तारा सो तरनि धूरि धारा मैं लगत जिमि धारा पर पारा पारावार यों हलत है। |
13. | तुम्हारी यह दंतुरित मुस्कान मृतक में भी डाल देगी जान। |
14. | साँसनि ही सौं समीर गयो अरु आसुँन ही सब नीर गयो धरि। । |
15. | ‘चलो धनुष से वाण, साथ ही शत्रु सैन्य के प्राण चले।’ |
16. | पति बनै चारमुख फूल बनै पंचमुख बांसी बनै षट्मुख तदपि नई नई। |
17. | कुसुमति कानन हेरि कमल मुखिमुदि रहए दु नयनि। |
18. | पिय सो कहेहु संदेसरा ऐ भंवरा ऐ काग सो धनि बिरहें जरि गई तेहिक धुंआ हम लाग। |
19. | केहिक सिंगार को पहिर पटोरा गीयं नहि हार रही होई डोरा। |
20. | तुम बिनु कंता धनि हरुई तन तिनूवर भा डोल तोहि पर बिरह जराइ के चहै उडावा झोल। |
अतिशयोक्ति अलंकार के भेद –
अतिशयोक्ति अलंकार के सात भेद बतायें गए है –
1. चपलातिशयोक्ति
2. सम्बंधातिशयोक्ति
3. असम्बंधातिशयोक्ति
4. अक्रमातिशयोक्ति
5. भेदकातिशयोक्ति
6. अत्यंतातिशयोक्ति
7. रूपकातिशयोक्ति