अव्यय : परिभाषा, भेद और उदाहरण | Avyay in Hindi – इस आर्टिकल में हम अव्यय , अव्यय किसे कहते कहते हैं, अव्यय की परिभाषा, अव्यय के प्रकार और उनके भेदों को उदाहरण के माध्यम से पढ़ेंगे। इस टॉपिक से सभी परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते है। हम यहां पर अव्यय ( Avyay) के सभी भेदों/प्रकार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी लेके आए है। hindi में अव्यय ( अव्यय) से संबंधित बहुत सारे प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं और राज्य एवं केंद्र स्तरीय बोर्ड की सभी परीक्षाओं में यहां से questions पूछे जाते है। Avyay in Hindi के बारे में उदाहरणों सहित इस पोस्ट में सम्पूर्ण जानकारी दी गई है। तो चलिए शुरू करते है –
अव्यय किसे कहते कहते हैं? Avyay kise kahate hain
अव्यय शब्द का शाब्दिक अर्थ है –‘अ’+ ‘व्यय’ अर्थात जिसका कभी व्यय न हो।
जो शब्द तीनो लिङ्गो, विभक्तियों तथा सभी वचनो में समान रहता है और जिसमे कोई विकार उत्पन्न नहीं होता है , उसे अव्यय शब्द कहा जाता है।
अव्यय की परिभाषा | Avyay ki Paribhasha –
वह शब्द जिस पर लिंग, वचन , कारक आदि शब्दों को कोई प्रभाव नहीं पड़ता ,अव्यय कहलाता है। अर्थात जिन शब्दों में लिंग, वचन, कारक आदि के कारण कोई विकार उत्पन्न नहीं होता है ,उसे अधिकारी या अव्यय शब्द कहा जाता है।
जैसे – किन्तु , परन्तु ,यथा ,तथा ,लेकिन, अगर, मगर, इसलिए ,अतः, अतएव, वाह,आह , कब, क्यों ,इधर, उधर ,यहाँ,वहाँ इत्यादि।
अव्यय के भेद | Avyay ke bhed
अव्यय के चार प्रकार होते है –
1. क्रिया विशेषण अव्यय शब्द
2. सम्बन्धबोधक अव्ययय शब्द
3. समुच्चयबोधक अव्यय शब्द
4. विस्मयादिबोधक अव्यय शब्द
अन्य भेदों में निपात व अव्ययीभाव समास के उदाहरण है।
1. क्रिया विशेषण अव्यय शब्द
वे अव्यय शब्द जो किसी क्रिया की विशेषता बतलाते है, क्रिया विशेषण अव्यय शब्द कहलाते है।
जैसे –
✦ कछुआ धीरे-धीरे चलता है।
✦ घोडा तेज दौड़ता है।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘धीरे-धीरे’ और ‘तेज’ शब्द चलना व दौड़ना क्रियाओं की विशेषता बता रहे है ,अतः ये क्रिया विशेषण शब्द माने जाते है।
क्रिया विशेषण अव्यय शब्द के भेद-
इस अव्यय शब्द को मुख्यतः तीन आधारों पर विभाजित किया जाता है –
1. अर्थ के आधार पर
2. रूप के आधार पर
3. प्रयोग के आधार पर
अर्थ के आधार पर – अर्थ के आधार पर क्रिया विशेषण चार प्रकार के होते हैं
1. स्थान वाचक क्रिया विशेषण
2. कालवाचक क्रिया विशेषण
3. परिणाम वाचक क्रिया विशेषण
4. रीतिवाचक क्रिया विशेषण
1. स्थानवाचक क्रिया विशेषण – ये क्रिया विशेषण भी दो प्रकार के होते है –
i.स्थिति वाचक क्रिया विशेषण
ii.दिशा वाचक क्रिया विशेषण
(i) स्थितिवाचक क्रिया विशेषण – ये क्रिया विशेषण स्थिति का निर्धारण करते है ,जैसे – यहां,वहां,ऊपर, नीचे, आगे ,पीछे ,बाहर, भीतर ,सामने, जहाँ,तहाँ, अन्यत्र, सर्वत्र ,आदि।
(ii) दिशावाचक क्रिया विशेषण – ये क्रिया विशेषण दिशा का निर्धारण करते है , जैसे – दाएं,बाएं ,इधर, उधर ,किधर, इस ओर, उस ओर , आर-पार, एक तरफ ,दूसरी तरफ आदि।
2. कालवाचक क्रिया विशेषण – ये क्रिया विशेषण तीन प्रकार के होते है –
i.समय वाचक क्रिया विशेषण
ii.पौनः पुन्य वाचक क्रिया विशेषण
iii. समयवाचक क्रिया विशेषण
(i) समयवाचक क्रिया विशेषण – आज ,कल , परसो ,जब,कब ,तब, कभी, अभी , फिर ,जल्दी, तुरंत ,पहले, बाद में आदि।
(ii)अवधिवाचक क्रिया विशेषण – हमेशा ,सदा ,निरंतर, लगातार, आजकल, दिन भर, रात भर, आदि।
(iii) पौनः पुन्य वाचक क्रिया विशेषण – बार-बार ,बारम्बार, अक्सर , बहुधा, प्रतिदिन, हर रोज, कई बार , हर बार आदि।
3. परिणामवाचक क्रिया विशेषण – वे क्रिया विशेषण शब्द जिनसे मात्रा या अनिश्चित संख्या का बोध होता है ,परिणामवाचक क्रिया विशेषण कहलाते है। ये पुनः पांच प्रकार के होते है –
✦ अधिकताबोधक – अधिक, बहुत, खूब, बड़ा, पूर्णतः , अति, बिलकुल, सर्वथा ,निपट, अत्यंत, अतिशय, आदि।
✦ न्यूनताबोधक – कम, जरा, थोड़ा, किंचित, कुछ आदि।
✦ पर्याप्तिबोधक – सिर्फ, केवल, बस, काफी, ठीक, यथेष्ट ,अस्तु आदि।
✦ तुलनाबोधक – उतना, कितना, से अधिक से कम, इतना आदि।
✦ श्रेणीबोधक – थोड़ा-थोड़ा, बारी-बारी ,क्रम-क्रम, एक-एक करके, यथाक्रम, यथाविधि आदि।
4. रीतिवाचक क्रिया विशेषण – ये क्रिया विशेषण शब्द संख्या में बहुत अधिक होते है। ये भी सात प्रकार के होते है –
✦ प्रकारबोधक- अचानक, जैसे, तैसे, वैसे, कैसे, जल्दी, धीरे, सहसा, अकस्मात, यथा , तथा,परस्पर, फटाफट, एकाएक, स्वतः आदि।
✦ निश्चयबोधक – सही, सचमुच, अवश्य, निःसंदेह ,बेशक, जरूर, अलबत्ता, दरअसल,वस्तुतः आदि।
✦ अनिश्चयबोधक – शायद, कदाचित, यथासंभव आदि।
✦ स्वीकारबोधक – जी, हाँ, ठीक, सच आदि।
✦ कारणबोधक – क्यूंकि, अतः,इसलिए, काहे को आदि।
✦ निषेधबोधक – मत , नहीं, न आदि।
✦ अवधारणाबोधक – तो,हो,मात्र,भर,तक, सा ,भी आदि।
रूप के आधार पर – ये क्रिया विशेषण तीन प्रकार के होते है –
(i)मूल क्रिया विशेषण
(ii)यौगिक क्रिया विशेषण
(iii)स्थानीय क्रिया विशेषण
(i) मूल क्रिया विशेषण – वे क्रिया विशेषण शब्द जो स्वतंत्र होते है अर्थात जो दूसरे शब्दों से मिलकर नहीं बने होते है ,मूल क्रिया विशेषण शब्द कहलाते है।
जैसे-
✦ तुम ठीक सोच रहे हो
✦ राम दूर रहता है।
✦ तुम अचानक कहा चली गयी ?
✦ वह फिर अनुतीर्ण हो गया।
उपर्युक्त वाक्यों में ठीक, दूर, अचानक, फिर शब्दों का स्वतंत्र रूप से प्रयोग हुआ है अतः ये मूल क्रिया विशेषण शब्द है।
(ii) यौगिक क्रिया विशेषण – वे क्रिया विशेषण जो किसी अन्य शब्द में प्रत्यय या पद के जोड़ने से बनते है , यौगिक क्रिया विशेषण कहलाते है।
जैसे – हाथों-हाथ ,घर-घर , प्रेमपूर्वक, दिनभर, क्रमशः ,आते-आते, सटासट, धड़ाधड़, विशेषकर ,आमने-सामने, कुछ -न- कुछ ,कभी-न-कभी, देखते हुए, जाते हुए आदि।
(iii) स्थानीय क्रिया विशेषण – वे क्रिया विशेषण शब्द जो बिना किसी रूपांतरण के स्थान विशेष पर प्रयुक्त होते है ,स्थानीय क्रिया विशेषण शब्द कहलाते है।
जैसे-
✦ वह उसे क्या मरेगा ?
✦ वह क्या तुम्हारा सिर पढ़ेगा।
✦ उसके लिए खाना बनाना कौन सा कठिन है ?
प्रयोग के आधार पर –
ये क्रिया विशेषण दो प्रकार के होते है
(I) साधारण क्रिया विशेषण – वे क्रिया विशेषण शब्द जो स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होते है , साधारण क्रिया विशेषण शब्द कहलाते है
जैसे-
✦ राम कहाँ रहता है ?
✦ तुम कल कहाँ रहोगे ?
यहां कहाँ तथा कल शब्दों का प्रयोग स्वतंत्र रूप से हुआ है, अतः ये साधारण क्रिया विशेषण शब्द है।
(II) संयोजक क्रिया विशेषण – वे क्रिया विशेषण शब्द जो किसी उपवाक्य से सम्बन्ध रखते है ,संयोजक क्रिया विशेषण शब्द कहलाते है।
जैसे –
✦ जहाँ तुम रहते हो, वहाँ कभी मै रहता था।
✦ यहां जहाँ-वहाँ शब्द उपवाक्यों को मिलाने के काम आ रहे है।
2. सम्बन्धबोधक अव्यय शब्द
वे अव्यय शब्द जो किसी संज्ञा शब्द के साथ जुड़कर संज्ञा का वाक्य के अन्य संज्ञा के साथ सम्बन्ध स्थापित करते है ,सम्बन्धबोधक अव्यय शब्द कहलाते है।
जैसे-
✦ मंदिर के सामने विद्यालय है।
✦ उसने विद्यालय के सामने कुछ पेड़ लगाए है।
✦ बच्चे अपने अभिभावकों के साथ विद्यालय आये।
✦ वह दिन भर खाता रहा।
✦ जल के बिना जीवन संभव नहीं है।
कुछ शब्द ऐसे भी होते है जो क्रिया – विशेषण की तरह भी प्रयुक्त होते तथा सम्बन्धबोधक अव्यय की तरह भी। ऐसे शब्द जब स्वतंत्र रूप से क्रिया की विशेषता है , तो वे क्रिया- विशेषण होते है तथा जब वे संज्ञा के साथ प्रयुक्त होते है ,तो वे सम्बन्धबोधक अव्यय शब्द कहलाते है।
जैसे-
✦ “वह कुछ दिन से वहाँ रह रहा है।”
यह ‘वहां’ शब्द स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त हुआ है ,अतः यह क्रिया विशेषण शब्द माना जायेगा।
“उसका घर वहाँ से कितनी दूर है। “
इस वाक्य में ‘वहाँ ‘ शब्द संज्ञा से जुड़ा है ,अतः यह संबंधबोधक अव्यय शब्द माना जायेगा।
विशेष – सम्बन्धबोधक अव्यय शब्द प्रायः संज्ञाओं की विभक्तियों के बाद प्रयुक्त होते है।
जैसे–
✦ जल के बिना जीवन संभव नहीं है।
✦ पूजा से पहले स्नान करना चाहिए।
सम्बन्धबोधक अव्यय के भेद – इन अव्यय शब्दों का प्रयोग मुख्यतः तीन प्रकार से किया जाता है –
(1) अर्थ के आधार पर
(2) व्युपति के आधार पर
(3) प्रयोग के आधार पर
अर्थ के आधार पर – इस के आधार पर सम्बन्धबोधक अव्यय 13 प्रकार के होते है –
✦ दिशावाचक – आरपार, ओर, पार, आसपास, तरफ आदि।
✦ स्थानवाचक – आगे, पीछे, ऊपर, नीचे ,सामने, पास, दूर, नजदीक , भीतर ,बाहर, अंदर आदि।
✦ कालवाचक – पहले, बाद, पूर्व, पश्चात, उपरांत, अनन्तर आदि।
✦ साधनवाचक – द्वारा, जरिये, सहारे, जबानी, मारफत, हाथ आदि।
✦ विषयवाचक – विषय, नाम, लेखे, भरोसे, बाबत आदि।
✦ हेतुवाचक – निमित, हेतु, खातिर, कारण, मारे, चलते ,वास्ते, लिए आदि।
✦ विनिमयवाचक – बदले , एवज,जगह, पलटे आदि।
✦ व्यतिरेकवचक – अलावा, सिवा, बिना , अतिरिक्त, रहित आदि।
✦ संग्रहवाचक – तक ,लौं , पर्यन्त , मात्र ,भर आदि।
✦ तुलनावाचक – अपेक्षा , बनिस्बत ,आगे, सामने आदि।
✦ विरोधवाचक – खिलाफ, विपरीत , उल्टा ,विरुद्ध आदि।
✦ सादृश्यवाचक – भांति, बराबर ,तुल्य, योग्य, लायक, अनुकूल, अनुसार, सरीखा, मुताबिक, समान , तरह आदि।
✦ सहचारणवाचक – साथ ,संग, समेत, सहित, अधीन, वश , स्वाधीन ,पूर्वक आदि।
व्युत्पति के आधार पर – इस आधार पर संबंधबोधक अव्यय शब्द दो प्रकार के होते है – (1) मूल संबंधबोधक अव्यय शब्द (2)यौगिक सम्बन्धबोधक अव्यय शब्द
(1) मूल सम्बन्धबोधक अव्यय शब्द – ये अव्यय शब्द स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होते है। जैसे – बिना , तरह , पर्यन्त , पूर्वक आदि।
(2)यौगिक सम्बन्धबोधक अव्यय शब्द – ये अव्यय शब्द किसी संज्ञा, क्रिया व क्रिया विशेषण से बनते है। जैसे – समान, तुल्य, उल्टा, पलटे, लेखे, अपेक्षा , मारफत, ऊपर , भीतर , जाने, माने, आदि।
प्रयोग के आधार पर – इस आधार पर संबंधबोधक अव्यय दो प्रकार के होते है –
1. संबद्ध संबंधबोधक
2.अनुबद्ध संबंधबोधक
संबद्ध संबंधबोधक – ये अव्यय शब्द संज्ञा की विभक्तियों के पीछे लगते है। जैसे- पानी की तरह , भोजन के बिना
अनुबद्ध संबंधबोधक – ये अव्यय शब्द संज्ञा के विकृत रूप के बाद प्रयुक्त होते है। जैसे- सहेलियों सहित , पुस्तकों समेत , किनारे तक।
3. समुच्चयबोधक अव्यय शब्द
वे अव्यय शब्द जो किसी संज्ञा या क्रिया की विशेषता न बताकर एक वाक्य या पद का किसी दूसरे पद या वाक्य के साथ सम्बन्ध स्थापित करते है ,समुच्चयबोधक अव्यय शब्द कहलाते है।
जैसे –
✦ ” राधा ने बहुत मेहनत की परन्तु सफल न हो सकी। “
✦ ” सीता खाना पकाती है और राम खाना खाता है।”
✦ ” एक और एक दो होते है “
समुच्चयबोधक अव्यय शब्द के भेद – ये अव्यय शब्द मुख्यतः दो प्रकार के होते है – 1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय शब्द 2. व्याधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय शब्द
1.समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय शब्द – वे अव्यय शब्द जिनके द्वारा मुख्य वाक्यों को जोड़ा जाता है, समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय शब्द कहलाते है।
ये भी चार प्रकार के होते है –
संयोजक – व ,और, एवं, तथा आदि।
विभाजक – वा, या , अथवा, किंवा, नहीं तो ,क्या-क्या, न……..न, न कि, चाहे………चाहे , अपितु, नहीं तो आदि।
परिणामदर्शक – सो, अतः , अतएव, इसलिए आदि।
विरोधदर्शक – परन्तु, किन्तु, अगर, मगर,पर , वरन, बल्कि आदि।
2. व्याधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय शब्द – वे अव्यय शब्द जिनके द्वारा एक मुख्य वाक्य में किसी उपवाक्य (आश्रित) को जोड़ा जाता है ,उसे व्याधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय शब्द कहते है।
ये भी चार प्रकार के होते है –
कारणवाचक– चूँकि ,इसलिए, क्यूंकि ,इस कारण आदि।
संकेतवाचक – यदि-तो,यद्यपि-तथापि, चाहे-परन्तु, जो-तो आदि।
स्वरूपवाचक – याने,मानो, अर्थात आदि।
उद्देश्यवाचक – जिससे कि,ताकि आदि।
4. विस्मयादिबोधक अव्यय शब्द
वे अव्यय शब्द जिनका वाक्य से कोई सम्बन्ध नहीं होता है लेकिन ये वक्ता के हर्ष, विस्मय, तिरस्कार,शोक आदि भावो को प्रदर्शित करते है ,विस्मयादिबोधक अव्यय शब्द कहलाते है।
जैसे –
✦ वाह ! कितना सुंदर बगीचा है।
✦ आहा, कितना स्वादिष्ट भोजन है।
✦ जी हाँ, ये कुत्ता हमारा है।
✦ छिःछिः, कितनी गंदगी है।
ये अव्यय शब्द भावो के प्रकट होने के आधार पर सात प्रकार के होते है –
हर्षबोधक – वाह-वाह ,आहा, शाबास, क्या खूब, क्या कहना, धन्य आदि।
शोकबोधक – हे राम, हाय-हाय, तौबा-तौबा, त्राहि-त्राहि, बाप-रे-बाप ,ऊह आदि।
अनुमोदनबोधक – आह, ठीक,अच्छा,हाँ-हाँ,शाबास आदि।
तिरस्कार बोधक – हट,छिःछिः ,अरे,दूर, धिक्,चुप,धत्तेरे कि आदि।
आश्चर्यबोधक – क्या, यह क्या, ओहो, हैं , ऐं आदि।
सम्बोधनबोधक – जी, अरे, रे, जी, हे,अहो आदि।
स्वीकारबोधक– जी हाँ,अच्छा जी, ठीक-ठीक, हाँ जी, बहुत अच्छा आदि।
5. निपात
वे अव्यय शब्द जो किसी शब्द के बाद लगकर विशेष प्रकार का बल देते है ,“निपात या अवधारक शब्द” कहलाते है।
जैसे-
✦ रोहन अभी तक नहीं आया।
✦ रोहन तो आएगा , राधा भी आएगी।
✦ अमित आज ही जा रहा है।