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Avyayibhav samas ( अव्ययीभाव समास ): अव्ययीभाव समास परिभाषा, भेद और उदाहरण

Avyayibhav Samas in Hindi – इस आर्टिकल में हम अव्ययीभाव समास किसे कहते हैं, अव्ययीभाव समास के भेद/प्रकार और उनके भेदों को उदाहरण के माध्यम से पढ़ेंगे।  इस टॉपिक से सभी परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते है।  हम यहां पर अव्ययीभाव समास के सभी भेदों/प्रकार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी लेके आए है। hindi में अव्ययीभाव समास से संबंधित बहुत सारे प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं और राज्य एवं केंद्र स्तरीय बोर्ड की सभी परीक्षाओं में यहां से questions पूछे जाते है।  Avyayibhav Samas in Hindi के बारे में उदाहरणों सहित इस पोस्ट में सम्पूर्ण जानकारी दी गई है।  तो चलिए शुरू करते है –

अव्ययीभाव समास किसे कहते है | Avyayibhav Samas kise kahate hain

अव्ययीभाव समास का अर्थ है –
जो समास अव्यय ( अव्यय शब्द का आशय उस शब्द से है जिसका भाषा – प्रयोग में रूप सैदेव एक – जैसा होता है , उसके रूप में कोई व्यय अर्थात परिवर्तन नहीं होता ) का भाव दे, अव्यय की तरह काम करे , अर्थात अपना रूप सदैव एक ही रखे, बदले नहीं। 

अव्ययीभाव समास के उदाहरण (Avyayibhav Samas Ke Udaharan)

अभूतपूर्व – जो पूर्व में नहीं हुआ है, 
निरन्ध्र – रन्ध्र से रहित
आजानुबाहु – जानु (घुटने) से बाहु तक,
सकुशल – कुशलता के साथ
प्रत्युत्तर – उत्तर के बदले उत्तर 
यथार्थ – अर्थ के अनुसार
नासमझ – बिना समझ के 
सपरिवार – परिवार के साथ
घरघर हर घर
नालायक़ – जो लायक नहीं
अनजाने – जाने बिना
विशुद्ध – विशेष रूप से शुद्ध
अनुवंश – वंश के अनुकूल
दरहकीकत – हकीकत में
हरसाल – प्रत्येक साल
पल-पल – प्रत्येक पल हर 
निस्संदेह – बिना संदेह के
बेशक – बिना शक के
बेनाम – बिना नाम के
बेकाम – बिना काम के
बेलगाम – लगाम के बिना
भरपेट – पेट भर कर

अव्ययीभाव समास के भेद | Avyayibhav Samas

अव्ययीभाव समास दो प्रकार के होते है –
1. अव्यय पद पूर्व अव्ययीभाव समास
2. नाम पद पूर्व अव्ययीभाव समास

अव्यय समास की पहचान सम्बन्धी बिंदु निम्न है – 

✦ वह समास जिसमें प्रथम पद प्रधान होता हो , उसे अव्ययीभाव समास कहते है।  

✦ अव्ययीभाव समास में अव्यय शब्द का अर्थ ऐसे शब्द से है जिसका भाषा प्रयोग में अर्थ सदैव एक जैसा होता है अर्थात उसके रूप में कोई व्यय (खर्च ) नहीं होता है। 

✦ संस्कृत में अव्ययीभाव समास का पहला पद अव्यय होता है और दूसरा शब्द संज्ञा या विशेषण रहता है , परन्तु हिंदी में इस समास के उदाहरणों में पहले अव्यय के बदले बहुधा संज्ञा पाई जाती है। 

✦ अव्ययीभाव समास क्रियाविशेषण का काम करते है, अर्थात वे क्रिया की विशेषता बताते है जबकि उनका एक पद उपसर्ग /अव्यय हो सकता है किन्तु दूसरा पद संज्ञा / विशेषण होता है। 

जैसे –
✦ राहुल सार्थक बोलता है। ( रीति वाचक विशेषण ) 
✦ नविन अत्यधिक खाता है।  ( परिमाणवाचक विशेषण ) 

यद्यपि अव्ययीभाव समास में यह संभव है की पहला पद अव्यय न होकर दूसरा पद अव्यय हो और प्रधान हो , या दोनों में से कोई भी पद अव्यय न हो और फिर भी सारा पद अव्यय का भाव रखता हो ; जैसे– हाथों- हाथ , घड़ी- घड़ी , पहले – पहल , पल – पल आदि।  

अतः अव्ययीभाव समास का मुख्य आधार प्रथम पद की प्रधानता न होकर उसमें अव्यय का भाव ( अपरिवर्तनशीलता का भाव ) होना ही है , फिर भी अधिकतर अव्ययीभाव समासों में पहला पद प्रधान होता है।

जैसे – 
पहला पद अव्यय –

यथाशक्ति – शक्ति के अनुसार 
यथासाध्य – जितना साधा जा सके 
यथासंभव – जैसा संभव हो 
यथाक्रम – जैसा क्रम हो / क्रम के अनुसार 
यथाविधि – जैसा विधि सुनिश्चित है 
यथास्थान – जो स्थान निर्धारित है 
यथोचित – जैसा उचित है 
यथानुरूप – उसी के अनुरूप 
यथामति – जैसी मति है 
यथायोग्य – जितना योग्य है 
यथार्थ – जैसा अर्थ है 
यथाशीघ्र –  जितना शीघ्र हो 
यथासमय – जो समय निर्धारित है 
यावज्जीवन –  जब तक जीवन है 
अकारण – बिना कारण के 
अनजाने – बिना जानकर 
अपवित्र – न पवित्र 
अवैनतिक – न वैनतिक
अवैध – न वैध 
असम्भव – न सम्भव 
तथागति – वैसी गति 
तथाप्रजा  – वैसी ही प्रजा 
नगण्य – न गण्य
नामुमकिन – न मुमकिन 
नापसंद – न पसंद 
परोक्ष – अक्षि( आँख ) से परे 
बहिर्वर्ती – बाहर रहनेवाला  
भरपेट – पेट भरकर 
भरसक – सक ( सामर्थ्य ) भर 
सकुशल – कुशलता के साथ 
सपत्नीक– पत्नी के साथ 
सपरिणाम – परिणाम के साथ 
सपरिवार – परिवार के साथ 
सप्रसंग – प्रसंग के साथ 
सशक्त – शक्ति के साथ 
सप्रमाण – प्रमाण सहित 
सशर्त – शर्त के साथ 
सबांधव – बंधुओ सहित 
सहर्ष – हर्ष सहित 
सानंद – आनंद सहित 
सानुज – अनुज के साथ 
सावधान – अवधान के साथ 
हरसाल – प्रत्येक साल 
हररोज – प्रत्येक रोज 
हरघड़ी– प्रत्येक घड़ी 
हरपल – प्रत्येक पल 
हरवर्ष – प्रत्येक वर्ष 
हरदिन – प्रत्येक दिन 

पहला पद उपसर्ग – 

प्रत्यारोप – आरोप के आरोप 
प्रतिहिंसा – हिंसा के बदले हिंसा 
प्रत्याशा – आशा के बदले आशा 
प्रतिघात – घात के बदले घात 
प्रतिफल – फल के बदले फल 
प्रतिद्वंदी – द्वन्द करने वाले का विरोधी 
प्रतिबिम्ब – बिम्ब का बिम्ब 
प्रत्युत्तर – उतर का उतर 
प्रतिक्रिया – क्रिया से प्रेरित क्रिया 
प्रतिरक्षा – रक्षा के बदले रक्षा 
प्रतिक्षण – हर क्षण 
प्रतिशत -प्रत्येक शत 
अतिरिक्त – रिक्त के आलावा 
अतिसार – सार की अति 
अतीन्द्रिय – इन्द्रियों से परे 
अत्यंत – अंत से भी अधिक 
अत्यधिक – अधिक से अधिक 
अत्यल्प – बहुत ही अल्प
अत्याधुनिक – आधुनिक से भी अधिक 
अत्यावश्यक – आवश्यकता से अधिक 
अत्युत्तम – उत्तम से अधिक 
अनुकरण – करण के अनुसार 
अनुक्रम – क्रम के अनुसार 
अनुगमन – गमन के पीछे गमन 
अनुसरण – सरण के बाद सरण 
अनुरूप – जैसा रूप है वैसा 
अनुदान – दान की तरह दान 
अनुदेश – देश के अनुसार 
अनुदिन – दिन के बाद दिन 
अनुचिंतन – चिंतन के बाद चिंतन 
अनुगंगा – गंगा के समीप 
आकंठ – कंठ तक 
आजन्म – जन्म से 
आजानु – जानु ( घुटना ) तक 
आजानुबाहु – जानु तक बाहुएँ
आजीवन – जीवन भर 
आपादमस्तक – मस्तक से पाद ( पैर) तक 
आपूर्ण– पूर्णरूप से भरा 
आबालवृद्ध – बाल से वृद्ध तक 
आमरण – मरण तक 
आरक्षण – रक्षण किया हुआ 
आसमुद्र – समुद्र पर्यन्त 
निडर – बिना डर के 
नीरोग – बिना रोग के 
नीरस – रस से रहित 
नियंत्रण – ठीक तरह नियंत्रण 
नियमन – नियम के अनुसार करना 
निमंत्रण – भली प्रकार से मंत्रण 
निरहंकार – अहंकार से रहित 
निरामिष – आमिष से रहित 
निर्भय – भय से रहित 
निर्विकार – बिना विकार के 
निर्विवाद – विवाद से रहित 
नीरन्ध्र – रंध्र से रहित 
नीरव – रव ( ध्वनि ) से रहित 
निकम्मा – काम से रहित 
निगोड़ा – घुटनों से रहित 
बेशर्म – बिना शर्म के 
बेकाम – बिना काम के 
बेपरवाह – बिना परवाह के 
बेरहम – बिना रहम के 
बेवजह – बिना वजह के 
बेगम – बिना गम के 
विकल – बिना चैन के 

दूसरा पद अव्यय –

अवसरानुसार – अवसर के अनुसार 
इच्छानुसार – इच्छा के अनुसार 
कथानुसार – कथा के अनुसार 
कुशलतापूर्वक – कुशलता के साथ 
कृपापूर्वक – कृपा के साथ 
क्रमानुसार – क्रम के अनुसार 
गमनार्थ – गमन के अर्थ 
गंगापार – गंगा के पार 
जीवनभर – पूरे जीवन 
जीवनपर्यन्त – जीवन तक
हितार्थ – हित के अर्थ 
सेवार्थ – सेवा के अर्थ 
सेवोपरांत – सेवा के उपरांत 
निर्देशानुसार – निर्देश के अनुसार 
प्रयत्नपूर्वक – प्रयत्न के साथ 
भोजनार्थ – भोजन के अर्थ 
मरणोपरांत – मरण के उपरांत 
मृत्युपर्यन्त – मृत्यु तक 
योग्यतानुसार – योग्यता के अनुसार 
लाभार्थ – लाभ के अर्थ 
विवाहोपरांत – विवाह के उपरांत 
विश्वासपूर्वक – विश्वास के साथ 
विवेकपूर्वक – विवेक के साथ
श्रद्धानुसार – श्रद्धा के अनुसार 
सरयूपार– सरयू के पार 
इच्छानुसार – इच्छा के अनुसार 
दर्शनार्थ –  दर्शन के अर्थ 
दानार्थ – दान के अर्थ 
ध्यानपूर्वक – ध्यान के साथ
नित्यप्रति – नित्य ही 

पद की आवृति से बने अव्ययीभाव समास – 

इस प्रकार के अव्ययीभाव समास में नामपद – संज्ञा , विशेषण एवं क्रिया की आवृति होती है , कहीं -कहीं अव्यय शब्द की भी आवृति से यह समास बनता है।  

जैसे –

रातोंरात – रात ही रात में 
दिनोंदिन – दिन के बाद दिन 
कानोंकान – कान ही कान में 
हाथोंहाथ – हाथ ही हाथ में 
बीचोंबीच – बीच ही बीच में 
बार -बार   – प्रत्येक बार 
पल -पल   – प्रत्येक पल 
आप आप – आप ही आप 
धड़ाधड़ – धड़ के बाद पुनः धड़ 
दुबारा – दो बार 
एकबारगी – एक बार 
बेखटके – खटके के बिना 
एकाएक – एक होते ही 
आमने – सामने –  एक दूसरे के सम्मुख 
कोठे – कोठे   –  प्रत्येक कोठे 
धीरे – धीरे   – धीरे ही धीरे 
घर – घर  – घर के बाद घर 
भरसक – शक्ति भर 
पहले पहल  – सबसे पहले 
मंद -मंद    – बहुत ही मंद 
सुनसुनी – सुनने के बाद सुनना 
आद्योपांत –  आदि से उपांत तक 
खासमखास – खास में से खास 
तनतनी –  तनने के बाद तनना
चलाचली –  चलने के बाद चलना 
भागमभाग –  भागने के बाद भागना 
टालमटोल – टालने के बाद टालना 
रेलमरेल   – रेल ही रेल 

निर्विकार बिना विकार के 
भरपेटपेट भर कर
रातभरपूरी रात
व्यर्थ  बिना अर्थ के 
अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas)
समास के अन्य भेद –

1. तत्पुरुष समास
2. कर्मधारय समास 
3. द्विगु समास 
4. द्वंद्व समास 
5. बहुब्रीहि समास

दोस्तो हमने इस आर्टिकल में Avyayibhav Samas in Hindi के साथ – साथ Avyayibhav Samas kise kahate hain, Avyayibhav Samas ke bhed के बारे में पढ़ा। हमे उम्मीद है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। आपको यहां Hindi Grammar के सभी टॉपिक उपलब्ध करवाए गए। जिनको पढ़कर आप हिंदी में अच्छी पकड़ बना सकते है।

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