भाषा –
भाषा के द्वारा हम अपने मन के भावों या विचारों को दूसरों के सामने बोलकर या लिखकर प्रकट करते हैं। एक मनुष्य का दूसरे से संपर्क का सबसे उत्तम साधन भाषा है। इशारों अथवा संकेतों को भाषा नहीं कहा जाता है, क्योंकि इनसे बात स्पष्ट नहीं हो पाती है।
जैसे एक बच्चा रोकर या हँसकर अपने मन की बात प्रकट करता है या एक गूंगा व्यक्ति संकेत देकर अपने मन की बात प्रकट करता है, परंतु उनकी बात पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो पाती। अत: मन के भावों की अभिव्यक्ति और जानकारी केवल भाषा के माध्यम से ही दी जा सकती है।
संसार में अनेक भाषाएँ प्रचलित हैं; जैसे–चीनी, अंग्रेजी, हिंदी, फ्रेंच, स्पेनी, रूसी, जर्मनी, जापानी, पुर्तगाली आदि। विश्व की भाषाओं में हिंदी का तीसरा स्थान है।
भाषा का प्रयोग (Uses of Language)
भाषा का प्रयोग हम बोलकर, लिखकर या पढ़कर करते हैं;
अध्यापिका ने बच्चों को बोलकर लिखवाया कि “हमारा भारत सोने की चिड़िया था।
” बच्चों ने अध्यापिका के शब्दों को सुना और अपनी कॉपी पर लिखा।
यहाँ पर अध्यापिका ने बोला, बच्चों ने लिखा, उसके बाद अध्यापिका ने बच्चों की कॉपी से पढ़ा। भाषा द्वारा ही एक-दूसरे के विचारों को जाना जाता है।
भाषा के रूप (Kinds of Language)
भाषा के निम्नलिखित दो रूप होते हैं-
(क) मौखिक भाषा (Oral Language)- हमारे द्वारा बोली जाने वाली भाषा ‘मौखिक भाषा’ कहलाती है;
जैसे :-
प्रधानमंत्री जी ने भाषण दिया, उन्हें जो भी बातें लोगों को बतानी थीं वह सब बोलकर बता दीं।
उदाहरण के लिए, राजेश और विशाल बातें कर रहे हैं, यह भी मौखिक भाषा का ही रूप है। मौखिक भाषा अस्थायी होती है।
(ख) लिखित भाषा (Written Language)-जब हम अपन मन-जब हम अपने मन के भावों और विचारों को लिखकर प्रकट करते हैं। तब यह ‘लिखित भाषा’ कहलाती है;
जैसे:-
अजय पुस्तक पढ़ रहा है।
राधा कविता लिख रही है।
लिखित भाषा स्थायी होती है।
भारतीय भाषाएँ (Indian Languages)
भारतीय संविधान के अनच्छेद 21 के अनसार भारत की राष्टीय भाषा हिंदी है। इस भाषा का 14 4 राष्ट्रीय भाषा के रूप में स्वीकार किया गया है।
संसार में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं. जैसे – फ्रेंच, जर्मन, तमिल, उर्दू, अरबी, फारसी, हिंदी, अंग्रेजी, चीनी, हिब्रू आदि।
अनक भाषाए बोली जाती हैं। इन भाषाओं में से 23 भाषाओं को संविधान से मान्यता प्राप्त है। ये भाषाएँ निम्नलिखित हैं-
हिंदी, सस्कृत, उदू, पजाबी, मराठी, उड़िया, गुजराती, कन्नड़, बंगला, तमिल, तेलुगु, मलयालम, मणिपूरी, कोकणी सिंधी, नेपाली, असमिया, कश्मीरी, बोदो, अंग्रेजी, संथली, डोगरी, मैथिली।
बोली (Dialect)
भाषा एक विस्तृत क्षेत्र में बोली जाती है। बोली का एक अपना सीमित क्षेत्र होता है। बोली का अपना कोई लिखित रूप नहीं होता। इसका कोई भी लिखित साहित्य नहीं होता। भारतवर्ष में लगभग 1,652 भाषाएँ बोली जाती हैं।
भाषा तथा बोली में अंतर
भाषा और बोली में अंतर होता है। निम्नलिखित तथ्यों के द्वारा हम यह अंतर जान सकते हैं
भाषा | बोली |
( क ) भाषा का क्षेत्र विस्तृत होता है । | ( क ) ' बोली ' भाषा का क्षेत्रीय रूप होती है और यह रूप भाषा की अपेक्षा सीमित होता है । |
( ख ) भाषा में साहित्य - रचना होती है । | ( ख ) बोली केवल बोली जाती है । यदि किसी बोली में साहित्य - रचना होती है , तो वह बोली ' उपभाषा ' बन ब जाती है ; जैसे — ब्रज और अवधी । |
( ग ) भाषा का प्रयोग सरकारी काम - काज में किया जाता है । | ( ग ) बोली का प्रयोग सरकारी काम - काज में नहीं होता , बल्कि किसी क्षेत्र - विशेष के जन - सामान्य के परस्पर व्यवहार या विचारों के आदान - प्रदान में होता है । |
भारत के राज्यों में बोली जाने वाली भाषाएँ
कौन-सी भाषा किस प्रांत या राज्य में बोली जाती है, इसका ज्ञान होना बहुत जरूरी है। आइए, भारत के विभिन्न प्रांतों और राज्यों में बोली जाने वाली भाषाओं के बारे में जानें-
प्रांत / राज्य | भाषाएँ |
आंध्र प्रदेश | तेलुगू , उर्दू |
अरुणाचल प्रदेश | हिंदी , अंग्रेजी , असमिया , गिस्सी , डफला |
असम | असमिया , बंगाली |
बिहार | हिंदी |
गोवा | मराठी , कोंकणी , पुर्तगाली , अंग्रेजी |
गुजरात | गुजराती , हिंदी |
हरियाणा | हिंदी , हरियाणवी |
हिमाचल | हिंदी , पहाड़ी |
जम्मू - कश्मीर | कश्मीरी , उर्दू , लद्दाखी , डोगरी , पंजाबी |
कर्नाटक | कन्नड़ |
केरल | मलयालम |
मध्य प्रदेश | हिंदी |
महाराष्ट्र | मराठी , हिंदी |
मणिपुर | मणिपुरी , अंग्रेजी |
मेघालय | खासी , गारो , आदिवासी , अंग्रेजी |
मिजोरम | मिजो , आदिवासी , अंग्रेजी |
नागालैंड | असमिया , आदिवासी , अंग्रेजी |
उड़ीसा | उड़िया , हिंदी |
पंजाब | पंजाबी , हिंदी |
राजस्थान | हिंदी , राजस्थानी |
सिक्किम | हिंदी , भूटिया , नेपाली , आदिवासी |
तमिलनाडु | तमिल |
त्रिपुरा | त्रिपुरी , असमिया , बंगाली , मणिपुरी |
उत्तर प्रदेश | हिंदी |
पश्चिम बंगाल | बंगाली |
केंद्रशासित प्रदेश
केंद्रशासित प्रदेश | भाषाएँ |
अंडमान - निकोबार | हिंदी , बंगाली , तमिल , मलयालम |
चंडीगढ़ | हिंदी , पंजाबी |
दादरा , नगर हवेली | हिंदी , गुजराती , मिली , भिलोडी |
दमण , दीव | मराठी , गुजराती , हिंदी |
दिल्ली | हिंदी , पंजाबी , उर्दू |
लक्षद्वीप | मलयालम , आदिवासी |
पुदुचेरी | तमिल , तेलुगू , मलयालम , फ्रेंच |
व्याकरण ( Grammar )
व्याकरण भाषा के शुद्ध रूप का ज्ञान कराता है । व्याकरण एक शास्त्र है । इसके नियमों द्वारा ही भाषा का शुद्ध रूप निर्धारित होता है । किसी भी भाषा के ज्ञान के लिए उसके व्याकरण का ज्ञान होना बहुत जरूरी है ।
व्याकरण को मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित किया गया है
( क ) वर्ण – विचार ( Phonology )
( ख ) शब्द – विचार ( Morphology )
( ग ) वाक्य – विचार ( Syntax )
( क ) वर्ण – विचार ( Phonology ) – वर्ण – विचार में हम वर्गों की बनावट , वर्णों के उच्चारण आदि के बारे में ज्ञान प्राप्त करते हैं ।
( ख ) शब्द – विचार ( Morphology ) – शब्द – विचार द्वारा हम शब्दों की बनावट , शब्दों की उत्पत्ति तथा शब्दों के भेदों के बारे में ज्ञान प्राप्त करते हैं ।
( ग ) वाक्य – विचार ( Syntax ) – वाक्य – विचार से हम वाक्य के भेद , वाक्य के प्रयोग तथा वाक्यों की रचना आदि के बारे में ज्ञान प्राप्त करते हैं ।