भ्रांतिमान अलंकार परिभाषा,उदाहरण || bhrantiman alankar in hindi – भ्रांतिमान अलंकार, अर्थालंकार का भेद है। यहां पर हम भ्रांतिमान अलंकार की परिभाषा तथा उदाहरण के बारे में पढ़ने जा रहे हैं, भ्रांतिमान अलंकार की सम्पूर्ण जानकारी आपको इस लेख में मिल जाएगी। पोस्ट के अंत में आपके लिए परीक्षापयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्न दिए गए है।
भ्रांतिमान अलंकार की परिभाषा –
जिस अलंकार में उपमेय में उपमान के होने का भ्रम अथवा सम्भावना होती है वहाँ पर भ्रांतिमान अलंकार होता है। अर्थात जब एक वस्तु को देखने पर दूसरी वस्तु से सम्बंधित भ्रम उत्पन्न हो जाता है वह ‘भ्रांतिमान‘ अलंकार कहलाता है।
भ्रांतिमान अलंकार किसे कहते है ? bhrantiman Alankar Kise Kahate hain
जब सादृश्य के कारण उपमेय में उपमान का भ्रम हो, अर्थात् जब उपमेय को भूल से उपमान समझ लिया जाये, तब ‘भ्रांतिमान‘ अलंकार होता है।
भ्रांतिमान अलंकार के उदाहरण | bhrantiman alankar ke 10 udaharan
बेसर-मोती-दुति झलक परी अघर पर अनि। पट पोंछति चुनो समुझि नारी निपट अयानि॥ यहाँ नायिका अधरों पर मोतियों की उज्ज्वल झलक को पान का चूना समझ लेती है और उसे पट से पोंछने को कोशिश करती है।
जानि स्याम को स्याम-घन नाचि उठे वन मोर। यहां पर वाक्य में मोर कृष्ण को वर्ण-सदृश्य के कारण श्याम मेघ ( काले बादल ) समझ लिया हैं अर्थात कृष्ण में श्यामल वर्ण होने के कारण मोरो को काले बादलो का भ्रम हो गया है।
ओस बिन्दु चुग रही हंसिनी मोती उनको जान। यहां पर हंसिनी को ओस-बूंदों के कारण मोतियों का भ्रम उत्पन्न हो गया है,तथा वह उस की बूंदों को मोती समझ कर चुग/ग्रहण कर रही हैं,अतः यहां पर भ्रांतिमान अलंकार है।
बिल विचार कर नागशुण्ड में घुसने लगा विषैला साँप । काली ईख समझ विषधर को, उठा लिया तब गज ने आप॥ यहां पर साँप को हाथी की सुँड में बिल का और हाथी को सांप में काले गन्ने का भ्रम दिखाया गया है,अतः यहाँ भ्रान्तिमान अलंकार है।
पाप महावर देन को नाइन बैठी आय। पुनि-पुनि जान महावरी एड़ी मोड़ित जाय।। यहाँ पर नाइन एड़ी की लालिमा को महावर समझकर भ्रम में पड़ जाती है, और सुन्दरी की एड़ी को मोड़ती जाती है,अतः यहाँ पर भ्रांतिमान अलंकार है।