धातु की परिभाषा
क्रिया का मूल रूप धातु कहलाता है। धातु के साथ प्रत्यय लगाकर अन्य क्रिया शब्द बनते हैं।
धातु किसे कहते है
जिन मूल अक्षरों से क्रियाएं बनती हैं उन्हें धातु कहते हैं।
जैसे- लिख, पढ़, बोल, हस, देख, आ, खा, गा, जा
सामान्य क्रिया-
क्रिया के मूल रूप अर्थात धातु के साथ ‘ना’ जोड़ने से क्रिया का सामान्य रूप बनता है।
जैसे-
लिख + ना= लिखना
पढ़ + ना = पढ़ना
खा + ना = खाना
जा + ना = जाना
चल + ना = चलना
धातु के भेद
व्युत्पत्ति या शब्द निर्माण की दृष्टि से धातु के सात भेद होते हैं
धातु सात प्रकार के होते हैं-
1. मूल धातु
2. यौगिक धातु
3. नामधातु
4. मिश्र धातु
5. सामान्य धातु
6. व्युत्पन्न धातु
7. अनुकणात्मक धातु
1. मूल धातु – मूल धातु स्वतन्त्र होती है। जो धातु किसी पर आश्रित न होकर स्वतंत्र होती है उसे मूल धातु कहते हैं।
जैसे- गा, खा, जा, पढ़, लिख, देख
2. सामान्य धातु- जिस धातु में ‘ना’ प्रत्यय जोड़कर उसका सरल रूप बनाया जाता है उसे सामान्य धातु कहते हैं।
जैसे –
खा + ना = खाना
गा + ना = गाना
जा + ना = जाना
पढ़ + ना = पढ़ना
लिख + ना = लिखना
देख + ना = देखना
3. व्युत्पन्न धातु – मूल धातु मे प्रत्यय लगाकर या और किसी कारण से जो परिवर्तन किया जाता है, उसे व्युत्पन्न धातु कहते हैं।
जैसे- लिखवाना,पढ़वाना, सुलवाना, बनवाना, दिखवाना, करवाना
4. यौगिक धातु – जो धातु किसी प्रत्यय के योग से बनती है उसे यौगिक धातु कहते हैं ।
जैसे- लिखा, पढ़ा, सुना, दिला, जीता
5. नाम धातु – जो धातु संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण से बनती है, उसे नामधातु कहते हैं।
जैसे – अपनान, गर्माना, बतियाना
6. मिश्र धातु – जिन संज्ञा विशेषण और क्रिया विशेषण शब्दों के बाद करना, होना, देना, लेना, जाना, आना, आदि क्रिया के प्रयोग से जो नई क्रिया धातुएं बनती है, उसे मिश्र धातु कहते हैं।
जैसे- देना – उधार देनाउधार देना
करना– काम करना
होना – काम होना
लेना – जान लेना
7. अनुकरणात्मक धातु – जो धातू किसी ध्वनि के अनुकरण पर बनाई जाती है उसे अनुकरणात्मक धातु कहते हैं।
जैसे- पटकना चटकना खटकना