Hasya Ras – Hasya Ras ki Paribhasha | हास्य रस – हास्य रस की परिभाषा

Hasya Ras in Hindi – इस आर्टिकल में हम हास्य रस किसे कहते हैं और रस को उदाहरण के माध्यम से पढ़ेंगे।  इस टॉपिक से सभी परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते है।  हम यहां पर हास्य रस के सभी भेदों/प्रकार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी लेके आए है। Hindi में Hasya Ras से संबंधित बहुत सारे प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं और राज्य एवं केंद्र स्तरीय बोर्ड की सभी परीक्षाओं में यहां से questions पूछे जाते है। Hasya ras in hindi grammar रस इन हिंदी के बारे में उदाहरणों सहित इस पोस्ट में सम्पूर्ण जानकारी दी गई है।  तो चलिए शुरू करते है –

हास्य रस | Hasya Ras

जिस भाव में हास नामक स्थायी भाव उद्बुद्ध होता है वहां हास्य रस माना जाता है। हास्य का स्थायी भाव हास माना जाता है। हास्य रस का स्थायी भाव हास है। ‘साहित्यदर्पण’ में कहा गया है – “बागादिवैकृतैश्चेतोविकासो हास इष्यते“, अर्थात वाणी के विकारों को देखकर मन का विकसित होना ‘हास’ कहा जाता है।

भरतमुनि ने कहा है कि दूसरों की चेष्टा से अनुकरण से ‘हास’ उत्पन्न होता है, तथा यह स्मित, हास एवं अतिहसित के द्वारा व्यंजित होता है “स्मितहासातिहसितैरभिनेय:।” भरत ने त्रिविध हास का जो उल्लेख किया है, उसे ‘हास’ स्थायी के भेद नहीं समझना चाहिए।

हास्य रस की परिभाषा | Hasya Ras ki Paribhasha

हास्य रस:- इस रस का विषय हास या (हंसी) होती है। किसी भी विचित्र आकार या वेश या चेष्टा वाले लोगों को देखकर एवं उनकी विचित्र चेष्टाएँ आदि को देख सुनकर हंसी जागृत होती हैं।
अथवा
किसी पदार्थ या व्यक्ति की असाधारण आकृति, वेशभूषा, चेष्टा आदि को देखकर हृदय में जो विनोद का भाव जाग्रत होता है, उसे हास्य रस कहा जाता हैं। यही हास जब विभाव, अनुभाव तथा संचारी भावों से पुष्ट हो जाता है तो उसे ‘हास्य रस’ कहते हैं।

हास्य रस के अवयव –

  • स्थाई भाव – हास (हँसी)।
  • आलंबन / विभाव – जिसको देख – सुन कर हँसी आवे, जैसे विदूषक। विकृत वेशभूषा, आकार एवं चेष्टाएँ।
  • उद्दीपन / विभाव – आलम्बन की अनोखी आकृति, विचित्र वेश या कथन या कोई अन्य विचित्रता, बातचीत, चेष्टाएँ आदि।
  • अनुभाव – आश्रय की मुस्कान, नेत्रों का मिचमिचाना, हंसना एवं अट्टाहस, आसू आ जाना।
  • संचारी भाव – हर्ष, आलस्य, चपलता, कम्पन, उत्सुकता आदि।

हास्य रस के उदाहरण | Hasya Ras ke Udaharan

बुरे समय को देखकर कर गंजे तू क्यों रोय।
किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय॥

कर्जा देता मित्र को, वो मुर कहलाया ।
महामूर्ख वो यार है, जो पैसे लौटाय ।
स्पष्टीकरण
स्थायी भाव- हास
आलम्बन विभाव – आश्रय – कवि, आलंबन – मित्र, उद्दीपन – मित्रों का परस्पर व्यवहार
अनुभाव – मित्र द्वारा कर्जा देना, कर्जा लौटना।
संचारी भाव – हर्ष, मति, चपलता, आवेग, उत्सुकता आदि।

“नाना वाहन नाना वेषा। विंहसे सिव समाज निज देखा॥
कोउ मुखहीन, बिपुल मुख काहू बिन पद कर कोड बहु पदबाहू॥’
स्पष्टीकरण
स्थायी भाव- हास
आलम्बन विभाव- शिव समाज
आश्रयालम्बन- स्वयं शिव
उद्दीपन- विचित्र वेशभूषा
अनुभाव- शिवजी का हँसना
संचारी भाव- रोमांच, हर्ष

जब सुख का नींद कढ़ा तकिया, इस सिर के नीचे आता है।
तो सच कहता हूं – इस सिर में, इंजन जैसे लग जाता है।।
मै मेल ट्रेन हो जाता हूं, बुद्धि भी फक – फक करती है।
सपनों के स्टेशन लाँघ – लाँघ, मस्ती की मंज़िल दिखाती है।।
स्पष्टीकरण
रस –
स्थायी भाव- हास
आलम्बन विभाव – आश्रय – पाठक, आलम्बन – हास्य से भरी उक्तियां, उद्दीपन – कवि के हाव – भाव
अनुभाव – पाठक का खिलखिलाना, झुमना
संचारी भाव – आवेग, हर्ष, चपलता, उत्सुकता ।

हास्य रस के उदाहरण | Hasya Ras Ka Udaharan

बुरे समय को देख कर गंजे तु क्यों रोय ।
किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय ॥

विधिस्तु कमले शेते हरिः शते महोदधौ ।
हरो हिमालये शेते मन्ये मत्कुण शंकया ॥

कोई कील चुभाए गए, उसे हथौड़ा मार ।
इस युग में तो चाहिए, जस को तस व्यवहार ।।

बुरे समय को देखकर कर गंजे तू क्यों रोय।
किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय॥

दोस्तो हमने इस आर्टिकल में Hasya Rasin Hindi के साथ – साथ Hasya Ras kise kahate hain, ke bhed के बारे में पढ़ा। हमे उम्मीद है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। आपको यहां Hindi Grammar के सभी टॉपिक उपलब्ध करवाए गए। जिनको पढ़कर आप हिंदी में अच्छी पकड़ बना सकते है।

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