हास्य रस के उदाहरण | Hasya Ras Ka Udaharan – इस आर्टिकल में हम हास्य रस के उदाहरण | Hasya Ras Ka Udaharan को पढ़ेंगे। इस टॉपिक से सभी परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते है। हम यहां पर हास्य रस ( Ras) के सभी भेदों/प्रकार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी लेके आए है। Hindi में हास्य रस ( Ras) से संबंधित बहुत सारे प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं और राज्य एवं केंद्र स्तरीय बोर्ड की सभी परीक्षाओं में यहां से questions पूछे जाते है। Hasya ras के बारे में उदाहरणों सहित इस पोस्ट में सम्पूर्ण जानकारी दी गई है। तो चलिए शुरू करते है –
हास्य रस:- इस रस का विषय हास या (हंसी) होती है। किसी भी विचित्र आकार या वेश या चेष्टा वाले लोगों को देखकर एवं उनकी विचित्र चेष्टाएँ आदि को देख सुनकर हंसी जागृत होती हैं।
हास्य रस के उदाहरण | Hasya Ras ke Udaharan
कर्जा देता मित्र को, वो मुर कहलाया ।
महामूर्ख वो यार है, जो पैसे लौटाय ।
स्पष्टीकरण–
स्थायी भाव- हास
आलम्बन विभाव – आश्रय – कवि, आलंबन – मित्र, उद्दीपन – मित्रों का परस्पर व्यवहार
अनुभाव – मित्र द्वारा कर्जा देना, कर्जा लौटना।
संचारी भाव – हर्ष, मति, चपलता, आवेग, उत्सुकता आदि।
“नाना वाहन नाना वेषा। विंहसे सिव समाज निज देखा॥
कोउ मुखहीन, बिपुल मुख काहू बिन पद कर कोड बहु पदबाहू॥’
स्पष्टीकरण–
स्थायी भाव- हास
आलम्बन विभाव- शिव समाज
आश्रयालम्बन- स्वयं शिव
उद्दीपन- विचित्र वेशभूषा
अनुभाव- शिवजी का हँसना
संचारी भाव- रोमांच, हर्ष
जब सुख का नींद कढ़ा तकिया, इस सिर के नीचे आता है।
तो सच कहता हूं – इस सिर में, इंजन जैसे लग जाता है।।
मै मेल ट्रेन हो जाता हूं, बुद्धि भी फक – फक करती है।
सपनों के स्टेशन लाँघ – लाँघ, मस्ती की मंज़िल दिखाती है।।
स्पष्टीकरण –
रस –
स्थायी भाव- हास
आलम्बन विभाव – आश्रय – पाठक, आलम्बन – हास्य से भरी उक्तियां, उद्दीपन – कवि के हाव – भाव
अनुभाव – पाठक का खिलखिलाना, झुमना
संचारी भाव – आवेग, हर्ष, चपलता, उत्सुकता ।
हास्य रस के उदाहरण | Hasya Ras Ka Udaharan
बुरे समय को देख कर गंजे तु क्यों रोय ।
किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय ॥
विधिस्तु कमले शेते हरिः शते महोदधौ ।
हरो हिमालये शेते मन्ये मत्कुण शंकया ॥
कोई कील चुभाए गए, उसे हथौड़ा मार ।
इस युग में तो चाहिए, जस को तस व्यवहार ।।
बुरे समय को देखकर कर गंजे तू क्यों रोय।
किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय॥
हास्य रस के उदाहरण | Hasya Ras Ka Udaharan
इस दौड़ धूप में क्या रखा है ।
आराम करो आराम करो ।
आराम जिंदगी की पूजा है।
इससे ना तपेदिक होती।
आराम शुधा की एक बूंद
तन का दुबलापन खो देती।।
विंध्य के वासी उदासी तपोव्रतधारी महा बिनु नारि दुखारे।
गौतम तीय तरी तुलसी सो कथा सुनि भै मुनि वृंद सुखारे।।
हैहैं सिला सब चंद्रमुखी, परसे पद-मंजुल-कंज तिहारे।
कीन्हीं भली रघुनायकजु करूना करि कानन को पगु धारे।।
तंबूरा ले मंच पर बैठे प्रेम प्रताप,
साज मिले पन्द्रह मिनट, घंटा भर आलाप।
घंटा भर आलाप, राग में मारा गोता,
धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता।
हास्य रस के उदाहरण | Hasya Ras Ka Udaharan
मैं ऐसा महावीर हूं, पापड़ को तोड़ सकता हूं।
अगर आ जाए गुस्सा, तो कागज को भी मोड़ सकता हूं।।
कहा बंदरिया ने बंदर से चलो नहाने चले गंगा।
बच्चों को छोड़ेंगे घर पे होने दो हुडदंगा।।
हँसी हंसी भाजैं देखि दूल्ह दिगम्बर को,
पाहुनी जे आवै हिमाचल के उछाह में ।
जेहि दिसि बैठे नारद फूली।
सो दिसि तेहि न बिलोकी भूली।।
काहू न लखा सो चरित विशेखा।
जो सरूप नृप कन्या देखा।।
आगे चले बहुरि रघुराई।
पाछे लरिकन धुनी उड़ाई।।
हास्य रस के 10 उदाहरण | Hasya Ras Ka 10 Udaharan
विधिस्तु कमले शेते हरिः शते महोदधौ ।
हरो हिमालये शेते मन्ये मत्कुण शंकया ॥
मातहिं पितहिं उरिन भये नीके।
गुरु ऋण रहा सोच बड़ जी के॥
गंगा हंसे मस्तक पर, भुजंगा हंसे भुजनि पर॥
हास केवल दंगल, नग्न की शादी में।
लखन कहा हसि हमरे जाना,
सुनहु देव सब धनुष सनाना।
का छति लाभु जून धनु तोरे,
रेखा राम नयन के शोरे। ।
कहां बंदरिया ने बन्दर से चलो नहाने चले गंगा ।
बच्चों को छोड़ेंगे घर पे होने दो हुड़दंगा ।।
पिल्ला लीन्ही गोद में मोटर भाई सवार।
अली भली घूमन चली किये समाज सुधार।।
इस दौड़ धूप में क्या रखा है।
आराम करो आराम करो।
आराम जिंदगी की पूजा है।
इससे ना तपेदिक होती।
आराम शुधा की एक बूंद
तन का दुबलापन खो देती।।
”मैं यह तोहीं मैं लखी भगति अपूरब बाल।
लहि प्रसाद माला जु भौ तनु कदम्ब की माल। ”