Karun Ras Ke Udaharan | करुण रस के उदाहरण

Karun Ras in Hindi – इस आर्टिकल में हम करुण रस का उदाहरण पढ़ेंगे।  इस टॉपिक से सभी परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते है।  हम यहां पर करुण रस के सभी भेदों/प्रकार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी लेके आए है। Hindi में करुण रस से संबंधित बहुत सारे प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं और राज्य एवं केंद्र स्तरीय बोर्ड की सभी परीक्षाओं में यहां से questions पूछे जाते है। Karun ras in hindi grammar के बारे में उदाहरणों सहित इस पोस्ट में सम्पूर्ण जानकारी दी गई है।  तो चलिए शुरू करते है –

करुण रस के उदाहरण | Karun Ras Ke Udaharan

करुण रस:- करुण रस का विषय शौक होता है। जब किसी प्रिय या मनचाही वस्तु के नष्ट होने या उसका कोई अनिष्ट होने पर हृदय शोक से भर जाए तब करुण रस जागृत होता है।

करुण रस के उदाहरण | Karun Ras ka Udaharan

देखि सुदामा की दीन दशा
करुण करके करुणा निधि रोए।
पानी परात को हाथ छुयो नहिं,
नैनन के जल सों पग धोये॥

Karun Ras Ka Udaharan
” अभी तो मुकुट बँधा था माथ, हुए कल ही हल्दी के हाथ।
खुले भी न थे लाज के बोल, खिले थे चुम्बन शून्य कपोल॥
हाय रुक गया यहीं संसार, बना सिन्दूर अनल अंगार।
वातहत लतिका यह सुकुमार, पड़ी है छिन्नाधार! ”

Karun Ras Ka Udaharan
” हा! वृद्धा के अतुल धन हा! वृद्धता के सहारे! हा!
प्राणों के परम प्रिय हा! एक मेरे दुलारे! ”

करुण रस के उदाहरण | Karun Ras ka Udaharan

Karun Ras Ka Udaharan
धोखा न दो भैयामुझे, इस भांति आकर के यहां
मझधार में मुझको बहाकर तात जाते हो कहां

Karun Ras Ka Udaharan
मम अनुज पड़ा है चेतनाहीन होके, तरल हृदयवाली जानकी भी नहीं है।
अब बहु दुःख से अल्प बोला न जाता, क्षणभर रह जाता है न उद्विग्नता से॥

Karun Ras Ka Udaharan
तात तात हा तात पुकारी। परे भूमितल व्याकुल भारी॥
चलन न देखन पायउँ तोही। तात न रामहिं सौंपेउ मोही

करुण रस के उदाहरण | Karun Ras ka Udaharan

Karun Ras Ka Udaharan
राम-राम कहि राम कहि, राम-राम कहि राम।
तन परिहरि रघुपति विरह, राउ गयउ सुरधाम॥

Karun Ras Ka Udaharan
सोक बिकल सब रोवहिं रानि ।
रुपु सीलु बलु तेजु बखानी ॥
करहि विलाप अनेक प्रकारा ।
परहिं भूमितल बारहिं बारा ॥

Karun Ras Ka Udaharan
जथा पंख बिनु खग अति दीना. मनिबिनु फ़न करिबर कर हीना॥
अस ममजिवनबन्धु बिन तोही. जौ जड़ दैवजियावै मोही॥

करुण रस के उदाहरण | Karun Ras ka Udaharan

Karun Ras Ka Udaharan
हाय राम कैसे झेलें हम पनी लज्जा अपना शोक
गया हमारे ही हाथों से अपना राष्ट्र पिता परलोक

Karun Ras Ka Udaharan
तात तात हा तात पुकारी।
परे भूमितल व्याकुल भारी।।
चलन न देखन पायउं तोही।
तात न रामहिं सौंपेउ मोही।।

Karun Ras Ka Udaharan
जथा पंख बिनु खग अति दीना।
मनि बिनु फन करिबर कर हीना।।
अस मम जिवन बन्धु बिन तोहि।
जौ जड़ दैव जियावै मोही।।

करुण रस के उदाहरण | Karun Ras ka Udaharan

Karun Ras Ka Udaharan
सोक बिकल सब रोवहिं रानि।
रूपु सीलु बलु तेजु बखानी।।
करहिं बिलाप अनेक प्रकारा।
परहिं भूमितल बारहिं बारा।।

Karun Ras Ka Udaharan
” हां! वृद्धा के अतुल धन हा! वृद्धता के सहारे! हा!
प्राणों के परम प्रिय हा! एक मेरे दुलारे!”

Karun Ras Ka Udaharan
“अभी तो मुकुट बंधा था माथ, हुए कल ही हल्दी के हाथ।
खुले भी न थे लाज के बोल, खिले थे चुंबन शून्य कपोल।।
हाय रुक गया यहीं संसार, बना सिंदूर अनल अंगार।
वातहत लतिका यह सुकुमार, पड़ी है छिन्नाधार!”

करुण रस के उदाहरण | Karun Ras ka Udaharan

Karun Ras Ka Udaharan
धिक जीवन जो पाता ही आया है विरोध ।
धिक साधन जिसके लिए सदा ही किया शोध ।।

दोस्तो हमने इस आर्टिकल में Karun Ras in Hindi के साथ – साथ Karun Ras kise kahate hain, Karun Ras Ka Udaharan के बारे में पढ़ा। हमे उम्मीद है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। आपको यहां Hindi Grammar के सभी टॉपिक उपलब्ध करवाए गए। जिनको पढ़कर आप हिंदी में अच्छी पकड़ बना सकते है।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *