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काव्यलिंग अलंकार किसे कहते हैं? | Kavyalinga Alankar परिभाषा, भेद और उदाहरण

काव्यलिंग अलंकार की परिभाषा

काव्यलिंग अलंकार परिभाषा,उदाहरण || Kavyalinga Alankar in hindiकाव्यलिंग अलंकार अर्थालंकार के अंतर्गत आता है, इस पोस्ट में हम काव्यलिंग अलंकार की परिभाषा तथा काव्यलिंग अलंकार के प्रकार के बारे में पढ़ेंगे। इस टॉपिक से सम्बंधित समस्त जानकारी आपको इस लेख में मिल जाएगी। इस पोस्ट के अंत में आपके लिए परीक्षापयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्न दिए गए है।

काव्यलिंग अलंकार किसे कहते हैं?

परिभाषा – किसी व्यक्ति से समर्थित की गई बातको काव्य लिंग अलंकार कहते हैं।

इसमें प्राय दो वाक्य होते हैं, एक में कोई बात कही जाती है दूसरे में उसके समर्थक हेतु का कथन होता है। पर दो वाक्य का होना आवश्यक नहीं।

काव्यलिंग अलंकार के उदाहरण –
कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय।
वह खाये बौरात जग, यह पाये बौराई॥
यहां इसी बात का समर्थन किया गया है कि सुवर्ण धतूरे की अपेक्षा सौ गुनी अधिक मादकता है। इस कथन का समर्थक हेतु बताया गया है कि आदमी धतूरे के खाने से पागल होता है पर सोने को पाने से ही पागल हो जाता है।
श्री पुर में, वन मध्य हौं, तू मग करी अनीति।
कहि मुंदरी! अब तियन की को करिहै परतीति।।

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