पुनरुक्ति अलंकार की परिभाषा, भेद एवं इसके उदाहरण | पुनरुक्ति अलंकार किसे कहते है।

पुनरुक्ति अलंकार 

पुनरुक्ति अलंकार दो शब्दों से मिलकार बना है – पुन:+उक्ति।

पुनरुक्ति अलंकार –
जब शब्द की आवर्ती हो, प्रत्येक बार अर्थ अभिन्न हो और अन्वय भी प्रत्येक बार अभिन्न हो वहाँ पर पुनरुक्ति अलंकार होता हैं।

पुनरुक्ति अलंकार के उदाहरण –

  1. घनश्याम-छटा लखिकै सखियाँ!
    आँखियाँ सुख पाइहैं, पाइहैं, पाइहैं।
    यहाँ पाइ हैं शब्द तीन बार आया हैै और तीनो बार अर्थ वही है और अन्वय भी एक जैसा हैं।(आँखियॉं कर्ता क्रिया है।)
  2. मधुर-मधुर मेरे दीपक ! जल !
    यहां मधुर शब्द दो बार आया है, दोनों बार इसका अर्थ वही है और अन्वय भी एक जैसा है ( प्रत्येक बार जल क्रिया विशेषण है।)
  3. सुबह-सुबह बच्चे काम पर जा रहे हैं।
  4. शान्त सरोवर का डर
    किस इच्छा से लहरा कर
    हो उठा चंचल – चंचल
    चंचल – चंचल शब्दों की आवृत्ति के कारण यहां पुनरुक्ति अलंकार होगा।

पुनरुक्ति अलंकार के उदाहरण (punrukti alankar ke udaharan)

  1. डाल-डाल अली-पिक के गायन का समां बंधा।
  2. ललित-ललित काले घुंघराले।
  3. हम डूब रहे दुख-सागर में,
    अब बांह प्रभो ! धरिये, धरिये।
  4. खा-खाकर कुछ पायेगा नहीं।
  5. जी में उठती रह-रह हूक।
  6. झूम झूम मृदु गरज गरज घनघोर।
  7. मीठा-मीठा रस टपकता।
  8. रंग-रंग के फूलों पर सुन्दर।
  9. थल-थल में बसता है शिव ही।
  10. सुबह-सुबह बच्चे काम पर जा रहे है।
  11. लाख-लाख कोटि-कोटि हाथों की गरिमा।
  12. मैं दक्षिण में दूर-दूर तक गया।
  13. अब इन जोग संदेसनि सुनि-सुनि
  14. उड़-उड़ वृंतो से वृंतो परे।
  15. पुनि-पुनि मोहि देखाब कुठारु।
  16. बहुत छोटे-छोटे बच्चे।
  17. हजार-हजार खेतों की मिट्टी का गुण धर्म

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