रौद्र रस – परिभाषा, उदाहरण सहित | Raodra Ras ki Paribhasha

रौद्र रस : परिभाषा, भेद और उदाहरण | Raodra Ras in Hindi – इस आर्टिकल में हम रौद्र रस ( Raodra Ras), रौद्र रस किसे कहते हैं, रौद्र रस की परिभाषा, और रौद्र रस को उदाहरण के माध्यम से पढ़ेंगे।  इस टॉपिक से सभी परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते है।  हम यहां पर रौद्र रस ( Raodra Ras) के सभी भेदों/प्रकार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी लेके आए है। Hindi में रौद्र रस ( Raodra Ras) से संबंधित बहुत सारे प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं और राज्य एवं केंद्र स्तरीय बोर्ड की सभी परीक्षाओं में यहां से questions पूछे जाते है। Raodra ras in hindi grammar रस इन हिंदी के बारे में उदाहरणों सहित इस पोस्ट में सम्पूर्ण जानकारी दी गई है।  तो चलिए शुरू करते है ।

रौद्र रस की परिभाषा | Raodra Ras ki Paribhasha

रौद्र रस:- रौद्र का विषय क्रोध है। विरोधी पक्ष की ओर से व्यक्ति,समाज, धर्म अथवा राष्ट्रीय की निंदा या अपमान करने पर मन में उत्पन्न होने वाले क्रोध से रौद्र-रस की उत्पत्ति होती है।
अथवा
काव्य में जहाँ शत्रु, विरोधी, या कोई दुष्ट समाज किसी सम्मानित व्यक्ति, धर्म या समाज का अपमान करता है, तो उसके प्रक्रिया में जो क्रोध उत्पन्न होता है जो विभाव, अनुभाव तथा संचारी भाव से परिपुष्ट होकर आस्वाद्य हो जाता है, वह रौद्र रस कहलाता है।

रौद्र रस का स्थाई भाव क्या है?

रौद्र रस का स्थाई भाव क्रोध है।

रौद्र रस के उदाहरण | Raodra Ras Ke Udaharan

श्री कृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे।
सब शोक अपना भूलकर करतल-युगल मलने लगे॥

रौद्र रस के अवयव

स्थाई भाव :- क्रोध

आलंबन विभाव :-

जिसको देखकर क्रोध आवे, जैसे – शत्रु

  • अपराधी व्यक्ति
  • शत्रु, विपक्षी
  • दुराचारी
  • लोक पीड़ा
  • अत्यचरी
  • अन्यायी।

संचारी विभाव :-

  • मोह
  • अमर्ष
  • उग्रता
  • आशा
  • हर्ष
  • स्मृति
  • भावेग
  • चपलता
  • मति
  • उत्सुकता
  • गर्व आदि।

अनुभाव :-

  • नेत्र लाल होना
  • बकना प्रहार करना
  • होठों का फड़फड़ाना
  • भौंटों का रेढा होना
  • दांत पीसना
  • शत्रुओं को ललकारना
  • अस्त्र-शस्त्र चलाना। 

उद्दीपन विभाव :-

  • अनिष्ट कार्य
  • अपकारक या शत्रु की अनुचित कथन
  • निंदा
  • कठोर वचन
  • अपमानजनक वाक्य।

रौद्र रस के उदाहरण | Raodra Ras Ke Udaharan

उस काल मरे क्रोध के तन काँपने उसका लगा।
मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।।

श्री कृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे।
सब शोक अपना भूलकर करतल-युगल मलने लगे॥

अरे ओ! दुःशासन निर्लज्ज, देख तू नारी का भी क्रोध।
किसे कहते उसका अपमान, करा दूंगी मैं उसका बोध॥

भारत का भूगोल तड़पता, तड़प रहा इतिहास है।
तिनका – तिनका तड़प रहा है, तड़प रही हर सांस है।
सिसक रही है सरहद सारी, मां के छाले कहते हैं।
ढूंढ रहा हूं किन गलियों में, अर्जुन के सूत रहते हैं।।

जो राउर अनुशासन पाऊँ।
कन्दुक इव ब्रह्माण्ड उठाऊँ।।
काँचे घट जिमि डारिऊँ फोरी।
सकौं मेरु मूले इव तोरी।।

विनय न मानत जलधि जड़ गए तीन दिन बीत
बोले राम सकोप तब, भय बिनु होय न प्रीत।।

क्या हुई बावली
अर्धरात्रि को चीखी
कोकिल बोलो तो
किस दावानल की
ज्वालाएं है दिखीं?
कोकिल बोलो तो।।

अतिरस बोले वचन कठोर
बेगि देखाउ मूढ़ नत आजू
उलटउँ महि जहँ जग तवराजू॥

सुनहूँ राम जेहि शिवधनु तोरा सहसबाहु सम सो रिपु मोरा
सो बिलगाउ बिहाइ समाजा न त मारे जइहें सब राजा॥

खून उसका उबल रहा था।
मनुष्य से वह दैत्य में बदल रहा था॥

उस काल मरे क्रोध के तन काँपने उसका लगा
मानो हवा के ज़ोर से सोता हुआ सागर जगा॥

जो राउर अनुशासन पाऊँ।
कन्दुक इव ब्रह्माण्ड उठाऊँ॥
काँचे घट जिमि डारिऊँ फोरी।
सकौं मेरु मूले इव तोरी॥

दोस्तो हमने इस आर्टिकल में Raodra Ras in Hindi के साथ – साथ Raodra Ras kise kahate hain, Raodra Ras ki Paribhasha, Raodra Ras ke bhed के बारे में पढ़ा। हमे उम्मीद है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। आपको यहां Hindi Grammar के सभी टॉपिक उपलब्ध करवाए गए। जिनको पढ़कर आप हिंदी में अच्छी पकड़ बना सकते है।

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