सकर्मक क्रिया की परिभाषा, भेद और उदाहरण
1. सकर्मक क्रिया – सकर्मक का अर्थ है – ‘कर्म के साथ ‘ अर्थात जब किसी वाक्य में कर्म के साथ क्रिया का प्रयोग होता है।
जिस क्रिया के द्वारा कार्य का फल कर्ता पर न पढ़कर ,कर्म पर पड़ता है ,वह सकर्मक क्रिया कहलाती है।जब किसी वाक्य में कर्ता, क्रिया और कर्म तीनों उपस्थित हों, तो वहां सकर्मक क्रिया होती है।
उदाहरण –
✦ राम ने आम खाया।
✦ राधा खाना खाती है।
✦ रमेश साईकिल चलता है।
इस वाक्य में राम कर्ता है, खाया किया है और आम यहां पर कर्म है। किंतु यह कौन सी क्रिया है सकर्मक या अकर्मक ? क्योंकि इस वाक्य में कर्ता क्रिया और कर्म तीनी उपस्थित हैं तो यहाँ पर सकर्मक क्रिया है
साकर्मक किया के उदाहरण :-
✦ राम आम खाता है।
✦ शीतल खाना पकाती है।
✦ राम फुटबॉल खेलता है।
✦ राहुल ने केला खाया।
✦ नरेंद्र खाता है।
✦ सचिन फुटबॉल मैच खेलता है।
✦ वह सड़क पर बहुत तेज दौड़ता है।
✦ सरोज कविता सुना रही है।
✦ चिराग चाय पी रहा है।
✦ श्याम टी.वी. देख रहा है।
उपर्युक्त वाक्यों में खाना, पीना, सुनना, देखना , पकाना आदि क्रियाओ का फल इनके कर्ता पर न पढ़कर ,इनके कर्म (आम,कविता, टीवी ,खाना) पर पड़ रहा है। अतः ये सकर्मक क्रिया है।
सकर्मक क्रिया के भेद-
1. एककर्मक क्रिया
2. बहुकर्मक क्रिया
1. एककर्मक क्रिया – यदि वाक्य में केवल एक ही कर्म हो तो वह एककर्मक क्रिया होती है।
एककर्मक क्रिया उदाहरण :-
✦ श्याम पुस्तक पढ़ता है।
✦ राधा खाना खाती है।
2. बहुकर्मक क्रिया – यदि वाक्य में एक से अधिक कर्म हो तो वह बहुकर्मक क्रिया होती है।
बहुकर्मक क्रिया उदाहरण :-
✦ रीना टीना को किताब पढ़ा रही है।
✦ ज्योति प्रिया को पत्र लिख रही है।
विशेष – किसी वाक्य में यदि ‘देना ‘ क्रिया का प्रयोग हो रहा और वहां ‘दान ‘ की भावना हो तो जिसको दान दिया जाता है वह ‘सम्प्रदान’ करक होता है। अतः ऐसे वाक्यों में द्विकर्मक क्रिया न मानकर एककर्मक क्रिया मानी जाती है।
उदाहरण :-
✦ रोहन ने मोहन को कपड़े दिए।
✦ राजा ने भिखारी को सोने के सिक्के दिए।
✦ मोनू ने सोनू को पांच सौ रुपये दिए।
✦ सेठ ने ब्राह्मण को धन दिया।
यदि देने में दान की भावना न होकर ‘दंड’ या ‘सजा ‘ की भावना हो , तो वहां द्विकर्मक क्रिया मानी जाती है।
उदाहरण :-
✦ शिक्षक ने विद्यार्थी को दंड दिया।