समुच्चबोधक अव्यय दो प्रकार के होते हैं
- ( 1 ) समानाधिकरण समुच्चयबोधक तथा
- ( 2 ) व्यधिकरण समुच्चयबोधक ।
( 1 ) समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय – ये अव्यय दो स्वतंत्र वाक्यों या वाक्यांशों को आपस में जोड़ते हैं ; जैसे
( क ) हमें अपने देश , सभ्यता और संस्कृति पर गर्व है ।
( ख ) आज वर्षा होगी या आँधी चलेगी ।
समानाधिकरण समुच्चयबोधक के चार भेद हैं –
( क ) संयोजक : और , तथा , अर्थात् , एवं , जोकि शब्द संयोजक होते हैं ।
( ख ) विकल्पबोधक : या , अथवा , चाहे , अन्यथा , व शब्द विकल्पबोधक होते हैं ।
( ग ) विरोधबोधक : किंतु , परंतु , लेकिन , मगर , पर , अपितु और बल्कि शब्द विरोधबोधक होते हैं ।
( घ ) परिणामबोधक : इसलिए , ताकि , अत :, नहीं तो आदि शब्द परिणामबोधक होते हैं ।
( 2 ) व्यधिकरण समुच्चयबोधक – ये अव्यय एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्यों को आपस में जोड़ते हैं ;
( क ) हमने सोचा कि वह आ जाएगा ।
( ख ) जल्दी चलो ताकि बस पकड़ सकें ।
( ग ) वह मितभाषी अर्थात् कम बोलने वाला है ।
चूँकि , क्योंकि , कि , ताकि , अर्थात् , जिससे कि , यानी , मानो , तथापि , यद्यपि , यदि , तो , चाहो , इसलिए आदि शब्द व्यधिकरण समुच्चयबोधक शब्द होते हैं ।