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samuchaybodhak : समुच्चयबोधक – परिभाषा, भेद और उदाहरण

समुच्चयबोधक किसे कहते है | samuchayabodhak kise kahate hain

समुच्चयबोधक भी एक अविकारी शब्द है। समुच्चयबोधक को ‘योजक ‘ भी कहा जाता है। योजक शब्द का अर्थ होता है – जोड़ने वाला। 
“अर्थात समुच्चयबोधक अव्यय शब्दों , वाक्यों या वाक्यांशों को आपस में जोड़ता है “

समुच्चयबोधक के उदाहरण | samuchayabodhak ke udaharan

रोहन ने कड़ी मेहनत की और सफल हुआ।
राजन और इकबाल लंबे हैं।
अगर तुम बुलाते तो मैं जरुर आता।
अंजली और नेहा पढ़ रहे हैं।
पूजा ने बहुत मेहनत की फिर भी सफल नहीं हुई।
रीमा बहुत तेज़ दौड़ी लेकिन प्रथम नहीं आ सकी।
रोहन और मोहन आपस में बातें कर रहे हैं।
मुझे एक कलम या पेंसिल दो।
samuchayabodhak

समुच्चयबोधक की परिभाषा | samuchayabodhak ki paribhasha

परिभाषा-  वे अविकारी शब्द जो दो शब्दों, वाक्यों या वाक्यांशों को आपस में जोड़ने का काम करता है ,समुच्चयबोधक कहलाते है।

जैसे- 
✦ रोहन और राधा पढ़ रहे है। 
✦ राधा स्कूल नहीं गयी क्योंकि वह बीमार है।
✦तुम अमीर हो परन्तु रहमदिल नहीं हो। 
✦ राजन और इकबाल लंबे हैं।
✦ मुझे एक कलम या पेंसिल दो।
✦ मैं उस पर विश्वास करता हूं क्योंकि वह ईमानदार है।

( उपर्युक्त वाक्यों में और , क्योंकि , परंतु शब्द वाक्यों को आपस में जोड़ रहे हैं ; अत : ये समुच्चयबोधक अव्यय है। )

समुच्चयबोधक के भेद ( Kinds of Conjunctions )
समुच्चबोधक अव्यय दो प्रकार के होते हैं –
( 1 ) समानाधिकरण समुच्चयबोधक
( 2 ) व्यधिकरण समुच्चयबोधक

( 1 ) समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय –वे अव्यय शब्द जो दो स्वतंत्र वाक्यों या वाक्यांशों को आपस में जोड़ते है, समानाधिकरण समुच्चयबोधक शब्द कहलाते है। 

जैसे – 
► आज आंधी चलेगी या बरसात होगी।
► भारतीयों को अपने देश, सभ्यता और संस्कृति पर गर्व है। 

समानाधिकरण समुच्चयबोधक के भेद हैं –

  1. संयोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक : और , तथा , अर्थात् , एवं , जोकि शब्द संयोजक होते हैं। 
  2. विभाजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक : अन्यथा, चाहे, नही तो, क्या, परंतु, तो, वा, या, मगर, चाहे, या-या, ताकि, न-न, न कि, चाहे, अथवा, वा शब्द विभाजक समानाधिकरण होते है।
  3. विकल्पसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक : या , अथवा , चाहे , अन्यथा , व शब्द विकल्पबोधक होते हैं। 
  4. विरोधदर्शक समानाधिकरण समुच्चयबोधक : परंतु , लेकिन , मगर , पर , अपितु और बल्कि शब्द विरोधबोधक होते हैं। 
  5. परिमाणदर्शक समानाधिकरण समुच्चयबोधक : इसलिए , ताकि , अत :, नहीं तो आदि शब्द परिणामबोधक होते हैं।
  6. वियोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक : या, न, अथवा इत्यादि शब्द वियोजक समानाधिकरण होते है।

1. संयोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

संयोजक समानाधिकरण दो या दो से अधिक वाक्यों को आपस में जोड़ने का काम करते हैं।

जैसे :- व, तथा, और, भी, एवं इत्यादि।

  • मै और तुम साथ विद्यालय जायेंगे।
  • आलू तथा गोभी सब्जियों के उदाहरण हैं।
  • राम और मोहन भाई है।
  • तुम वहाँ जाना र उस व्यक्ति से बात करना।
  • कमल तथा सुनील कमजोर विद्यार्थी हैं।
  • बड़े एवं छोटे सभी को प्यार करना चाहिए।
  • बड़े एवं छोटे सभी का सम्मान करना चाहिए।
  • वह कल और परसो अनुपस्थित था।

2. विभाजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

विभाजक समानाधिकरण दुसरे शब्दों, वाक्यों या वाक्यांशों में विभाजन प्रकट करते हैं अर्थात यह दो वाक्यों या शब्दों को अलग करते हैं।

जैसे :- अन्यथा, चाहे, नही तो, क्या क्या, परंतु, तो, वा, या, मगर, चाहे, या-या, ताकि, चाहे-चाहे, न-न, न कि, चाहे, अथवा, वा इत्यादि।

  • उसने बहुत कोशिश की मगर समय से नहीं पहुँच सका।
  • यह काम कार्लो नहीं तो कल डांट पड़ेगी।
  • अभी से परिश्रम करना शुरू करो ताकि आखिरी तक तैयार हो जाओ।
  • अभी से सो जाओ ताकि अगली सुबह जल्दी उठ सको।
  • उसने बहुत कहा मगर उसकी बात किसी ने नहीं सुनी।
  • मैं यह काम करूंगा चाहे तुम कुछ भी कर लो।

उपर्युक्त वाक्यों में मगर, नहीं तो, ताकि आदि प्रयोग किये गए हैं। अतः यह उदाहरण विभाजक समानाधिकरण सम्च्च्याबोधक के अंतर्गत आयेंगे।

3. विकल्पसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

विकल्पसूचक समानाधिकरण अव्यय से विकल्पो का बोध होता है।

जैसे :- या, अन्यथा, अथवा, कि इत्यादि।

  • तुम या तो फल ले लो या सब्जियां।
  • थोड़ा तेज़ चलो अन्यथा बस नहीं पकड़ पाओगे।
  • मैं मरुंगा अथवा वो ही मरेगा।
  • तुम या तो खेलो या पढ़ाई करो।
  • थोड़ा जल्दी करो अन्यथा देर हो जायेगी।
  • वह कर से जायेगा अथवा बस से।

उपर्युक्त वाक्यों में या, अथवा, अन्यथा आदि शब्दों का प्रयोग किया गया है। इनसे हमें विकल्पों का बोध हो रहा है। अतः यह उदाहरण विकल्प्सुचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक के अंतर्गत आयेंगे।

4. विरोधसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

विरोधसूचक समानाधिकरण दो विरोधी वाक्य या उपवाक्यों को जोड़ने का काम करते हैं।

जैसे :- वरना, लेकिन, मगर, किंतु, पर, परन्तु, बल्कि इत्यादि।

  • कशिश ने बहुत कोशिश की परन्तु उसे बचा नहीं सकी।
  • सोहन ने तेजी दिखाई लेकिन प्रथम नहीं आ सका।
  • अच्छा हो या बुरा पर मुझे यह काम करना है।
  • हमें इससे दर लगता है किन्तु ये सबसे आसान है।
  • सोहन ने बहुत पढ़ाई की परन्तु प्रथम नही आ सका।
  • अच्छा हो या बुरा पर मुझे यह काम करना है।
  • तुम जाओ वरना मैं चला जाऊंगा।

उपर्युक्त वाक्यों में देख सकते हैं परन्तु, लेकिन, पर, किन्तु आदि शब्दों का इस्तेमाल किया है।
ये सभी शब्द दो विरोधी वाक्यों को जोड़ने का काम कर रहे हैं। अतः ये उदाहरण विरोधसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक शब्दों के अंतर्गत आयेंगे।

5. परिणामसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

परिणामसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक दो उपवाक्यों को जोड़ते हैं और जोड़ने के बाद उन दोनों वाक्य के परिणाम का बोध कराते हैं। 

जैसे :- अतः, फलताः, इस कारण, अतएव, परिणाम स्वरूप, इसलिए, अन्यथा, फलस्वरूप इत्यादि।

  • इस फल में बहुत ज्यादा कीड़े होते हैं अतएव ये खाने के लिए ठीक नहीं हैं।
  • मैं बच्चा हूँ अतः मैं वहां नहीं जा सकता हूँ।
  • उसने सबसे नेक काम किया परिणामस्वरूप उसे अच्छी पहचान मिली।
  • उसने सबसे हटकर काम किया परिणामस्वरूप उसे पहचान मिली।
  • इस फल में बहुत अधिक कीड़े होते हैं इसलिए यह खाने के लिए सही नहीं हैं।
  • मैं छोटा हूँ, अतः मैं वहां नहीं पहुंच सकता हूँ।

उपर्युक्त वाक्यों में हम देख सकते हैं कि परिणामस्वरुप, अतएव एवं अतः आदि शब्द प्रयोग किये गए हैं।
ये सभी शब्द दो वाक्यों को जोड़कर उनके परिणाम का बोध कराते हैं। अतः ये उदाहरण परिणामसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक के अंतर्गत आयेंगे।

6. वियोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

वियोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय से जुड़ने या त्याग करने का बोध होता है। 

जैसे :- या, न, अथवा इत्यादि।

  • श्याम अथवा राम में से ही कोई यहाँ आया था।
  • सोहन अथवा राम में से ही कोई जीतेगा।
  • न तो तुमने, न ही तुम्हारे दोस्त ने वहां जाने की हिम्मत दिखाई।
  •  तो मैने और  ही तुमने वहां जाने की हिम्मत दिखाई।

उपर्युक्त वाक्यों में अथवा, न आदि शब्दों का प्रयोग करके या तो अपने द्वारा जुड़ने या एक का त्याग करने का अभ्यास हो रहा है। अतः ये उदाहरण वियोजक के अंतर्गत आयेंगे।

( 2 ) व्यधिकरण समुच्चयबोधक – वे अव्यय शब्द जो एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्यों को आपस में जोड़ते है, व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय कहलाते है। 

जैसे-  
► वह सत्यवादी है अर्थात सत्य बोलता है। 
► वह रहमदिल है इसलिए सब की मदद करता है।
► हमने सोचा की यह बहुत अच्छा है। 
चूँकि , क्योंकि , कि , ताकि , अर्थात् , जिससे कि , यानी , मानो , तथापि , यद्यपि , यदि , तो , चाहो , इसलिए आदि शब्द व्यधिकरण समुच्चयबोधक शब्द होते हैं ।

व्यधिकरण समुच्चय बोधक के प्रकार

व्यधिकरण समुच्चयबोधक चार प्रकार के होते है।

  1. कारणसूचक व्याधिकरण समुच्चयबोधक
  2. संकेतसूचक व्याधिकरण समुच्चयबोधक
  3. उद्देश्यसूचक व्याधिकरण समुच्चयबोधक
  4. स्वरुपसूचक व्याधिकरण समुच्चयबोधक

1. कारणसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक

कारणसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक से दो जुड़े हुए वाक्यों में हो रहे क्रिया के कारण का पता चलता है।

जैसे :- क्योंकि, इस लिए, ताकि, चुकी, इस कारण, जोकि, इसलिए कि, कि इत्यादि।

  • तुम अभी खेलने नहीं जा सकते क्योंकि तुम अभी बीमारी हो।
  • तुम वहां नहीं जा सकते क्योंकि तुम अभी बच्चे हो।
  • वह बहुत सुशील है इसलिए मुझे पसंद है।
  • तुम लेट जाओ ताकि मैं उठ सकूं।
  • वह बहुत सुंदर है इसलिए मुझे पसंद है।
  • तुम बैठ जाओ ताकि मैं पढ़ा सकूं।

उपर्युक्त वाक्यों में क्योंकि, इसलिए एवं ताकि आदि शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है।
इन शब्दों के प्रयोग से हमें कार्य के होने के कारण का पता चल रहा है। अतः ये उदाहरण कारणसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक के अंतर्गत आएगा।

2. संकेतसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक

संकेतसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक दो वाक्यों में से पूरे वाक्य की घटना का परीणाम का बोध कराता है।

जैसे :- यदि, परंतु, यदपी, जा, तो, तथापि इत्यादि।

  • अगर मुझे वह नहीं मिला तो मैं वापस आ जाऊँगा।
  • ज़िन्दगी में सफल होना हैं तो मेहनत करना पड़ता है।
  • अगर मैं वहा नही पहुंचा तो मैं हार जाऊँगा।
  • ज़िन्दगी में सफल होना हैं तो मेहनत करो।

उपर्युक्त वाक्यों में देख सकते हैं की कुछ शब्दों का प्रयोग करके  पूर्ण वाक्य उत्तर वाक्य की ओर संकेत कर रहा है। अतः ये उदाहरण संकेतसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक के अंतर्गत आयेंगे।

3. उद्देश्यवाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक

उद्देश्यवाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक दो वाक्यों को जोड़कर उनके उद्देश्य का बोध कराते हैं। 

जैसे :- ताकि, जिससे, इसलिए की, कि, जो इत्यादि।

  • तुम मेरी सहायता करो जिससे मुझे तुम अच्छे लगो।
  • मैंने यह सब इसलिए किया कि वह जल्दी आये।
  • तुम खड़े हो जाओ ताकि वह बैठ सके।
  • तुम्हे कसरत करनी चाहिए जिससे तुम स्वस्थ रहो।
  • तुम यहाँ से चले जाओ ताकि वह आ सके।
  • मैंने यह सब इसलिए किया कि वह सुधर जाए।

उपर्युक्त वाक्यों में ताकि, जिससे, इसलिए आदि शब्दों का प्रयोग किया गया है। इन शब्दों का प्रयोग करके दो जुड़े हुए वाक्यों का उद्देश्य बताते हैं।

4. स्वरूपवाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक

स्वरूपवाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक से मुख्य वाक्य के अर्थ का बोध होता है। 

जैसे :- यानी, जैसे, अर्थात, कि, मानो इत्यादि।

  • सात दिन यानी एक सप्ताह मुझे वहां रुकना पडेगा।
  • तुम्हारा चेहरा ऐसा खिला है जैसे कि कोई गुलाब हो।
  • तुम्हारा चेहरा ऐसा लग रहा है जैसे कि कोई चाँद हो।
  • सात दिन यानी एक सप्ताह होता है।

उपर्युक्त वाक्यों में जैसे, यानी आदि शब्दों का प्रयोग करके हमें मुख्य वाक्य के स्पष्टीकरण का बोध हो रहा है। अतः ये उदाहरण स्वरूप्वाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक के अंतर्गत आयेंगे।

कुछ प्रमुख समुच्चयबोधक ( Some Important Conjunction )

और, इसलिए, या, फिर, मगर, तो, क्योंकि , जिससे, एवं, कि, बल्कि, ताकि, अन्यथा, जैसे, अथवा, पर, अर्थात् , परन्तु, मानो, अतः, नहीं तो तथा, किंतु, तथापि आदि शब्द व्यधिकरण समुच्चयबोधक शब्द है। 

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