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शून्य का आविष्कार | Shunya Ka Avishkar

शून्य भारत में संख्या पद्धति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। जैसे ही शून्य की बात होती हैं हम सब के दिमाक में बहुत सरे विचार आते है जैसे – शून्य क्या है, शून्य का आविष्कार किसने किया तथा शून्य का इतिहास क्या है। आज हम इस पोस्ट में शून्य ( जीरो ) समस्त जानकारी लेके आये है।

जीरो का आविष्कार किसने किया

भारत में संख्या पद्धति का शून्य एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। पहले गणितीय समीकरणों को कविता के रूप में गाया जाता था। आकाश और अंतरिक्ष जैसे शब्द “कुछ भी नहीं” अर्थात शून्य का प्रतिनिधित्व करते हैं. एक भारतीय विद्वान पिंगला ने द्विआधारी संख्या का इस्तेमाल किया और वह पहले थे जिन्होंने जीरो के लिए संस्कृत शब्द ‘शून्य’ का इस्तेमाल किया था.
628 ईस्वी में ब्रह्मगुप्त नामक विद्वान और गणितज्ञ ने पहली बार शून्य और उसके सिद्धांतों को परिभाषित किया। शून्य का योगदान हर क्षेत्र में है लेकिन शून्य गणित विषय के सबसे बड़े अविष्कार में से एक माना जाता है। दोस्तों एक बार आप सोच कर देखिये अगर शून्य का अविष्कार नहीं होता तो आज गणित कैसा होता।

जीरो का अविष्कार कब हुआ

शून्य ( ज़ीरो ) का अविष्कार गणित के क्षेत्र में एक क्रांति जैसे है। यदि शून्य का अविष्कार नहीं हुआ होता तो आज गणित को इतना आसान नहीं बनाया जा सकता है।

शून्य (0) एक अंक है जो संख्याओं के निरूपण के लिये प्रयुक्त आजकी सभी स्थानीय मान पद्धतियों का अपरिहार्य प्रतीक है। इसके अलावा यह एक से प्रचलित हुआ। फिर लैटिन, इटैलियन, फ्रेंच आदि से होते हुए इसे अंग्रेजी में ‘जीरो’ (zero) कहते हैं।

शून्य के अविष्कार का मुख्य श्रेय ब्रह्मगुप्त नामक विद्वान को जाता हैं। ब्रह्मगुप्त ने ही शुरुआत में शून्य के सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया था।

ब्रह्मगुप्त नामक विद्वान और गणितज्ञ ने पहली बार शून्य और उसके सिद्धांतों को परिभाषित किया और इसके लिए एक प्रतीक विकसित किया जो कि संख्याओं के नीचे दिए गए एक डॉट के रूप में था। उन्होंने गणितीय संक्रियाओं अर्थात जोड़ (addition) और घटाव (subtraction) के लिए शून्य के प्रयोग से संबंधित नियम भी लिखे हैं। इसके बाद महान गणितज्ञ और खगोलविद आर्यभट्ट ने दशमलव प्रणाली में शून्य का इस्तेमाल किया था।

ब्रह्मगुप्त से पहले भारत के महान गणितज्ञ और ज्योतिषी आर्यभट्ट ने शून्य का प्रयोग किया था। इसी कारण बहुत से लोग आर्यभट्ट को भी शून्य ( ज़ीरो ) का जनक मानते थे। परन्तु सिद्धांत न देने के कारण उन्हें शून्य का मुख्य अविष्कारक नहीं माना जाता।

जीरो का अविष्कार कब हुआ

628 ईस्वी में महान भारतीय गणितज्ञ ‘ ब्रह्मगुप्त ‘ ने शून्य का प्रतीकों और सिद्धांतो के साथ उपयोग किया।

जीरो क्या हैं

शुन्य बहुत ही महत्वपूर्ण गणितीय संख्या है।
इसको गणित की भाषा में 0 ( शून्य ) लिखा जाता है।
शून्य का कोई मान नहीं होता लेकिन यदि जीरो किसी संख्या के पीछे लग जाये तो उसका मान दस गुना बढ़ा देता है।

जैसे –

1 ( एक) के पीछे जीरो लगा दिया जाए तो 10 ( दस ) हो जाता हैं।
10 ( दस ) के पीछे जीरो लगा दिया जाए तो 100 (सौ ) हो जाता हैं।
100 (सौ ) के पीछे जीरो लगा दिया जाए तो 1000 (हजार) हो जाता हैं।
1000 ( एक हजार ) के पीछे जीरो लगा दिया जाए तो 10,000 (दस हजार) हो जाता हैं।
10000 ( दस हजार ) के पीछे जीरो लगा दिया जाए तो 100000 (एक लाख ) हो जाता हैं।
100000 ( एक लाख ) के पीछे जीरो लगा दिया जाए तो 1000000 (दस लाख ) हो जाता हैं।

अगर हम इन ज़ीरो को बढ़ाते जायेगे तो संख्या भी बढाती जाएगी।

जो अंक इसका सहयोग लेता है यह उसकी ताकत कम से कम दस गुणा कर देता है यहां 1 ने शुन्य का सहयोग लिया (10) लेकिन जो शुन्य से टकराता है उसे शुन्य ही कर देता है (1*0)=0 यहां 1 शुन्य से टकराया।

शून्य (0) एक अंक है जो संख्याओं के निरूपण के लिये प्रयुक्त आजकी सभी स्थानीय मान पद्धतियों का अपरिहार्य प्रतीक है। इसके अलावा यह एक … से प्रचलित हुआ। फिर लैटिन, इटैलियन, फ्रेंच आदि से होते हुए इसे अंग्रेजी में ‘जीरो‘ (zero) कहते हैं। .. ‘

शून्य’ की कहानी 500 वर्ष और पुरानी हैं।

जीरो का इतिहास

प्राचीन समय में जब अन्य लोग जीवन जीने का तरीका सिख रहे थे तब भारतवर्ष में वैज्ञानिक जीवन जिया जा रहा था. जब सिंधु घाटी सभ्यता के पुरातत्व मिले हैं तब पूरी दुनिया ने इस बात को स्वीकारा. आज भी विज्ञान के क्षेत्र में भारत कई विकसित देशो से आगे हैं. लेकिन दुःख की बात यह हैं की हमे हमारी कई उपलब्धियों का क्रेडिट नही मिला.

भले ही वह भगवान महावीर के द्वारा ‘सूक्ष्म जीवो’ के बारे में बताना हो या महर्षि कणाद के द्वारा ‘परमाणु’ के बारे में. लेकिन कुछ चीजो का श्रेय हमे दिया गया जिसमे से एक ‘शून्य (Zero) का अविष्कार‘ भी हैं. इस लेख में हम ‘ज़ीरो का अविष्कार किसने और कब किया’ के विषय पर बात करेंगे.

वैसे तो शून्य (जीरो) का योगदान हर क्षेत्र में है लेकिन इसे गणित के सबसे बड़े अविष्कारों में से एक गिना जाता हैं. एक बार सोचकर देखिए अगर ज़ीरो की खोज ना होती तो आज गणित कैसी होती? गणित तो होती लेकिन आज जितनी सटीक नहीं. यही कारण हैं 0 का अविष्कार सबसे महत्वपूर्ण अविष्कारों में शामिल किया जाता हैं.

जैसे ही शून्य के अविष्कार की बात आती हैं, हमारे दिमाग में कई सवाल उठने लगते हैं. ज़ीरो का आविष्कार किसने किया? जीरो का अविष्कार कब हुआ? जीरो के अविष्कार से पहले गणना कैसे होती थी और जीरो के अविष्कार का क्या महत्व हैं? इस लेख में हम जीरो के अविष्कार से लेकर इसके इतिहास पर विस्तार से बात करेंगे.

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