श्रुत्यानुप्रास अलंकार की परिभाषा और इसके उदाहरण | Srutyanupras Alankar
श्रुत्यानुप्रास अलंकार की परिभाषा :-
जहां एक ही उच्चारण-स्थान वाले अधिक वर्ण एक साथ अनुकूल प्रयोग हो जो भाषा में लालित्य उत्पन्न करता उसे श्रुत्या अनुप्रास कहते है।
अथवा
जहां पर कानों को मधुर लगाने वाले वर्णों की आवर्ती होती हो उसे श्रुत्यानुप्रास अलंकार कहते है।
यह अलंकार शब्दालंकार के छः भेद में से अनुप्रास अलंकार का एक भेद है।
श्रुत्यानुप्रास अलंकार के उदाहरण:-
1. तुलसीदास सीदत निसि-दिन देखत तुम्हारी निठुराई।
(त वर्ण की आवृत्ति)
2. दिनांत था, थे दिननाथ डूबते।
साधेनु आते गृह ग्वाल-बाल थे।।
अनुप्रास अलंकार के भेद-
(i) छेका अनुप्रास
(ii) वृत्या अनुप्रास
(iii) श्रुत्या अनुप्रास
(iv) अन्तयानुप्रास
(v) लाटानुप्रास