उपमेयोपमा अलंकार किसे कहते है? Upmeyopma Alankar परिभाषा, भेद एवं इसके उदाहरण
उपमेयोपमा अलंकार की परिभाषा –
जब उपमेय और उपमान को परस्पर उपमान और उपमेय बनाने की प्रक्रिया ‘उपमेयोपमा’ कहते हैं।
अथवा
जब उपमेय और उपमान को एक दूसरे की उपमा दी जाए, अर्थात् जब उपमेय को उपमान के समान बताकर फिर उपमान को उपमेय के बराबर बताया जाए, तो वहां उपमेयोपमा होता है।
उपमेयोपमा अलंकार के उदाहरण –
'तो मुख सोहत है ससि-सो, अरु सोहत है ससि तो मुख जैसो।' यहाँ ‘मुख'(उपमेय) को पहले ससि (उपमान) जैसा बताया गया, तदोपरांत ‘ससि’ को उपमेय ‘मुख’ जैसा वर्णित किया गया है।
तेरो तेज सरजा समत्थ दिनकर सो है, दिनकर सोहै तेरे तेज के निकरसों।
वे तुम सम,तुम उन सम स्वामी।
साह के सपूत दानी सिवसाह! तेरो कर सुर-तरु-सो है, सुर-तरु तेरे कर सो।
राम के समान शम्भु, शम्भु सम राम है।