विरोधाभाष अलंकार परिभाषा,उदाहरण || Virodhabhash Alankar in hindi – विरोधाभाष अलंकार अर्थालंकार के अंतर्गत आता है, इस पोस्ट में हम विरोधाभाष अलंकार की परिभाषा तथा विरोधाभाष अलंकार के प्रकार के बारे में पढ़ेंगे। इस टॉपिक से सम्बंधित समस्त जानकारी आपको इस लेख में मिल जाएगी। इस पोस्ट के अंत में आपके लिए परीक्षापयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्न दिए गए है।
विरोधाभाष अलंकार किसे कहते है?
परिभाषा – जहां दो वस्तुओं में मूलतः विरोध ना होने पर भी विरोध के आभास का वर्णन किया जाए,वहां विरोधाभास अलंकार होता है। विरोध प्रतीत तो हो किंतु वास्तव में वह विरोध न होकर केवल उसका आभास ही हो, तो विरोधाभास अलंकार होता है।
अथवा
वास्तविक विरोध न होते हुए भी जहां विरोध का आवास प्रतीत हो वहां विरोधाभास अलंकार होता है।
विरोधाभाष अलंकार का अर्थ – विरोधाभास का शाब्दिक अर्थ ही ‘विरोध का आभास देने वाला’
विरोधाभाष अलंकार के उदाहरण –
सुधि आये सुधि जाय। सुधि आने में सुधि चल जाती हैं। यहां विरोध दिखाई पड़ता है पर विस्तुतः विरोध नहीं है क्योंकि वास्तविक अर्थ है सुधि(याद) आने पर सुधि चती जाती हैं।
"या अनुरागी चित्त की, गति सम्झै नहिं कोय। ज्यों ज्यों बूडै स्याम रंग, त्यों त्यों उज्ज्वल होय।।” यहाँ पर श्याम (काला) रंग में डूबने से उज्ज्वल होने का वर्णन है अतः यहाँ विरोधाभास अलंकार है।
प्रिय मौन एक संगीत भरा। संगीतपर संगीत के समय चारों ओर ध्वनि का विस्तार होता है किंतु यहां मौन रहकर संगीत का आभास कराना विरोधाभास अलंकार है
विरोधाभाष अलंकार के उदाहरण –
- पत्थर कुछ और मुलायम हो गया है।
- सोए गए भाग मेरे जानि वा जगन में।
- मीठी लगे अँखियान लुनाई।
- कुकभरी भूकता बुलाय आप बोलिहै।
- ’’अवध को अपनाकार त्याग से, वन तपोवन सा प्रभु ने किया।
भरत ने उनके अनुराग से, भवन में वन का व्रत ले लिया।।’’