विशेषोक्ति अलंकार परिभाषा,उदाहरण || Visheshokti Alankar in hindi – विशेषोक्ति अलंकार, अर्थालंकार का भेद है। यहां पर हम विशेषोक्ति अलंकार की परिभाषा तथा उदाहरण के बारे में पढ़ने जा रहे हैं, विशेषोक्ति अलंकार की सम्पूर्ण जानकारी आपको इस लेख में मिल जाएगी। पोस्ट के अंत में आपके लिए परीक्षापयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्न दिए गए है।
विशेषोक्ति अलंकार की परिभाषा –
कारण के उपस्थित रहने पर भी जब कोई कार्य का न होना वर्णित किया जाए, तब वहां विशेषोक्ति अलंकार होता है।
कारण के रहते हुए कार्य का ने होना विशेषोक्ति अलंकार है।
विशेषोक्ति का अर्थ –
विशेषोक्ति का अर्थ हैं ‘विशेष उक्ति’। कारण कें रहने पर कार्य होता है किंतु कारण के रहने पर भी कार्य न होने में ही विशेष उक्ति हैं।
विशेषोक्ति अलंकार के उदाहरण | –
धनपति उहै जेहिक संसारू। सबहिं देइ नित,घट न भेजरू॥ सदा सबको देना रूपी कारण होने पर भी भंडार का घटना रूपी कार्य नहीं होता।
सोवत जागत सपन बस, रस रिस चैन कुचैन। सुरति श्याम घन की सुरति, बिसराये बिसरै न।। यहां पर वाक्य में भुलाने के कारण के होते हुए भी भुला पाना कठिन हो गया तथा कारण के होते हुए भी कार्य सम्पन्न नही हुआ अतः यह विशेषोक्ति अलंकार का उदाहरण होगा।
फूलै-फलै न बेंत, जदपि सुधा बरसहि जलद। यहां पर पौधों के फलने-फूलने के कारण वर्षा होती है। यहां पर कहां गया है की अमृत की वर्षा होने पर भी बेंत का पौधा फलता-फूलता नहीं। वर्षा रूपी कारण होने पर भी फूलना-फलना रूपी कार्य नही होता है।