Yamak Alankar : यमक अलंकार की परिभाषा, भेद एवं इसके उदाहरण

Yamak Alankar in Hindi – इस आर्टिकल में हम यमक अलंकार किसे कहते हैं, यमक अलंकार के भेद/प्रकार और उनके प्रकारों को उदाहरण के माध्यम से पढ़ेंगे। इस टॉपिक से सभी परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते है। हम यहां पर Yamak Alankar के सभी भेदों/प्रकार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी लेके आए है। Hindi में Yamak Alankar से संबंधित बहुत सारे प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं और राज्य एवं केंद्र स्तरीय बोर्ड की सभी परीक्षाओं में यहां से questions पूछे जाते है। यमक अलंकार इन हिंदी के बारे में उदाहरणों सहित इस पोस्ट में सम्पूर्ण जानकारी दी गई है।  तो चलिए शुरू करते है –

यमक अलंकार किसे कहते है | Yamak Alankar Kise Kahate Hain

काव्य में जहां कोई शब्द या शब्दांश बार बार आए किंतु प्रत्येक बार अर्थ भिन्न हो वहां यमक अलंकार होता है।

यमक अलंकार का अर्थ

यमक शब्द का अर्थ ‘दो‘ होता है।

यमक अलंकार की परिभाषा | Yamak Alankar Ki Paribhasha

यमक अलंकार की परिभाषा | Yamak Alankar Ki Paribhasha
जब एक ही शब्द काव्य में कई बार आये और सभी अर्थ अलग – अलग हो वहां पर यमक होता है ।

उदाहरण:-

  1. कनक- कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय ,उपाय बोराय ,उखाय बोराय।
    यहां कनक- कनक के अर्थ भिन्न-भिन्न है।
    कनक- सोना
    कनक- धतूरा।
  2. ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी।
    ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहाती है।।
  3. तू मोहन के उरबसी ह्वै उर्वशी समान।
    उरबसी -हृदय में बसी
    उर्वशी- अप्सरा।
  4. बार जीते सर मैंन के ऐसे देखे मैंन
    हरिनी के नैनान ततें हरिनी के थे नैन।
    मैंन- कामदेव
    मैंन- मैं नहीं

    हरिनी- मादा हिरण
    हरिनी- हरि (कृष्ण) को प्रिय
  5. जे तीन बेर खाती थीं, ते वे तिन बेरे खाती हैं।
    तीन बेर-तीन बेर के फल
    तीन बेर-तीन बार (समय)
  6. मुरति मधुर मनोहर देखी।
    भयेठ विदेह विदेह विसेखी।
    यहां पर विदेह शब्द दो बार आया है। पहली बार इसका अर्थ है राजा जनक और दूसरी बार अर्थ है देह-रहित है।
  7. सारंग ले सारंग चली, सारंग पुगो आय।
    सारंग ले सारंग धर्यौ, सारंग सारंग मॉय।
    सारंग – 1. धड़ा, 2. सुन्दरी, 3. वर्षा, 4. वस्त्र, 5. धड़ा, 6. सुन्दरी, 7. सरोवर।

यमक अलंकार के भेद-
(i) अभंग
(ii) सभंग

(i) अभंग यमक:- अभंग यमक में पूरे शब्दों की आवृत्ति होती है अर्थात शब्दों को बिना थोड़ी ही आवृत्ति देखी जा सकती है।

(ii) सभंग अलंकार – सभंग यमक में कोई शब्द सार्थक और कोई शब्द निरर्थक हो सकता है किंतु स्वर व्यंजन की आवृत्ति सदा ही उसी क्रम में होती है।

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