अद्भुत रस का विषय आश्चर्य या विस्मय होता है। किसी असाधारण अलौकिक या आश्चर्यजनक वस्तु ,दृश्य या घटना देखने, सुनने से मन का चकित होकर विस्मय में आ जाता, अद्भुत रस की उत्पत्ति करता है।
अद्भुत रस के 10 उदाहरण | Adbhut Ras Ke 10 Udaharan
Adbhut Ras Ke Udaharan
अखिल भुवन चर अचर जग हरिमुख में लखि मातू।
चकित भायी, गदगद वचन, विकसित दृग, पुलकातु॥
Adbhut Ras Ke Udaharan
चित अलि कत भरमत रहत कहाँ नहीं बास।
विकसित कुसुमन मैं अहै काको सरस विकास।
Adbhut Ras Ke Udaharan
मैं फिर भूल गया इस छोटी सी घटना को
और बात भी क्या थी, याद जिसे रखता मन!
किंतु, एक दिन जब मैं संध्या को आँगन में
टहल रहा था, तब सहसा मैंने जो देखा
उससे हर्ष विमूढ़ हो उठा मैं विस्मय से!
देखा, आँगन के कोने में कई नवागत
छोटी-छोटी छाता ताने खड़े हुए हैं।
Adbhut Ras Ke Udaharan
इहाँ उहाँ दुह बालक देखा।
मति भ्रम मोरि कि आन बिसेखा।
Adbhut Ras Ke Udaharan
देखरावा मातहि निज,
अद्भुत रूप अखण्ड।
रोम-रोम प्रति लागे,
कोटि-कोटि ब्रम्हाण्ड।।
Adbhut Ras Ke Udaharan
पद पाताल सीस अजयधामा,
अपर लोक अंग-अंग विश्राम।
भृकुटि बिलास भयंकर काला,
नयन दिवाकर कच धन माला।।
Adbhut Ras Ke Udaharan
देख यशोदा शिशु के मुख में,
सकल विश्व की माया,
क्षणभर को वह बनी अचेतन,
हिल ना सकी कोमल काया।
Adbhut Ras Ke Udaharan
देखी राम जननी अकलानी।
प्रभू हँसि दीन्ह मधुर मुसुकानी।।
Adbhut Ras Ke Udaharan
केशव नहीं जाई का कहिये।
देखत तब रचना विचित्र अति
समुझि मनहीं मन दाहिये।।
Adbhut Ras Ke Udaharan
लक्ष्मी थी या दुर्गा वह,
स्वयं वीरता की अवतार।
देख मराठे पुलकित होते,
उसकी तलवारों के वार।।
Adbhut Ras Ke Udaharan
आयु सिता-सित रूप चितैचित,
स्याँम शरीर रगे रँग रातें।
‘केसव’ कॉनन ही न सुनें,
सु कै रस की रसना बिन बातें।।
Adbhut Ras Ke Udaharan
‘ब्रज बछरा निज धाम करि फिरि ब्रज लखि फिरि धाम।
फिरि इत र्लाख फिर उत लखे ठगि बिरंचि तिहि ठाम।।
Adbhut Ras Ke Udaharan
बिनू पद चलै सुने बिनु काना।
कर बिनु कर्म करै विधि नाना।।