अनन्वय अलंकार | Ananvay Alankar – अनन्वय अलंकार, अर्थालंकार का भेद है। इस अलंकार के प्रयोग में एक ही वस्तु पर उपमान और उपमेय दोनो बना दिया जाता है। यहां पर हम अनन्वय अलंकार की परिभाषा तथा उदाहरण के बारे में पढ़ने जा रहे हैं, अनन्वय अलंकार की सम्पूर्ण जानकारी आपको इस लेख में मिल जाएगी। पोस्ट के अंत में आपके लिए परीक्षापयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्न दिए गए है।
अनन्वय अलंकार की परिभाषा –
जब उपमेय का उपमान न मिल सकने के कारण उपमेय को ही उपमान बना दिया जाए तब वहां अनन्वय अलंकार | Ananvay Alankar होता है।
एक ही वस्तु को उपमेय और उपमान दोनों बना देना ‘अनन्वय’ अलंकार कहलाता हैं।
अनन्वय अलंकार के उदाहरण –
अब यद्यपि दुर्लभ आरत है। पर भारत के सम भारत है। यहाँ भारत उपमेय है और उपमान भी वही है, अर्थात भारत देश इतना महान है कि इसकी तुलना में कोई अन्य उपमान ही नहीं, अतः भारत (उपमेय) की तुलाना भी उपमान रूप भारत से ही कर दी गयी है।
मुख मुख के समान ही सुंदर है। यहां पर वाक्य में मुख उपमेय है तथा इसकी तुलना करने के लिए कोई उपमान नहीं है इसलिए उपमेय को ही उपमान बना दिया गया है अतः यह अनन्वय अलंकार का उदाहरण है।
यद्यपि अति आरत-मारत है, भारत के सम भारत है। यहां पर वाक्य में भारत उपमेय है जिसकी तुलना करने के लिये कोई उपमान नहीं है जिस कारण से उपमेय को ही उपमान बनाकर उपमेय की तुलना की जबरहि है अतः यह अनन्वय अलंकार का उदाहरण होगा।