अन्तयानुप्रास की परिभाषा :-
छंद के अंत में वर्णों की आवृत्ति जहां होती है वहां अंत्यानुप्रास होता है।
अथवा
जब दो या अधिक शब्दों, या वाक्यों, या छंदों के चरणों के अन्त में अन्तिम दो स्वरों की, बीच के व्यंजन – सहित आवृति हो वहां अन्तयानुप्रास अलंकार होता है।
यह अलंकार शब्दालंकार के छः भेद ने से अनुप्रास अलंकार का एक भेद है।
अन्तयानुप्रास के उदाहरण:-
1. तज प्राणों का मोह आज सब मिलकर आओ,
मातृभूमि के लिए बंधुवर अलख जगाओ।
(यहां छंद के अंत मे आओ शब्द की आवृत्ति हुई है।)
2. नभ लाली, चाली निसा, चटकाली धूनी किन।
इसमें लाली, चाली और चककाली इन शब्दों के अंत में बीच में व्यंजन ल के सहित अन्त के दो स्वरों (आ और ई) की आवृति हुई है।
अनुप्रास अलंकार के भेद-
(i) छेका अनुप्रास
(ii) वृत्या अनुप्रास
(iii) श्रुत्या अनुप्रास
(iv) अन्तयानुप्रास
(v) लाटानुप्रास