भक्ति रस : परिभाषा, भेद और उदाहरण – इस आर्टिकल में हम भक्ति रस किसे कहते हैं, भक्ति रस के भेद/प्रकार और उनके प्रकारों को उदाहरण के माध्यम से पढ़ेंगे। इस टॉपिक से सभी परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते है। हम यहां पर भक्ति रस के सभी भेदों/प्रकार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी लेके आए है। Hindi में भक्ति रस से संबंधित बहुत सारे प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं और राज्य एवं केंद्र स्तरीय बोर्ड की सभी परीक्षाओं में यहां से questions पूछे जाते है। Bhakti ras in hindi grammar भक्ति रस इन हिंदी के बारे में उदाहरणों सहित इस पोस्ट में सम्पूर्ण जानकारी दी गई है। तो चलिए शुरू करते है –
भक्ति रस की परिभाषा | Bhakti Ras ki Paribhasha
भक्ति रस:- भक्ति रस का विषय आराध्य प्रभु के प्रति अनुरक्त का भाव होता है। इनमें आलंबन इष्टदेव या इष्ट देवी होती हैं।
भरतमुनि से पण्डितराज जगन्नाथ तक संस्कृत के किसी प्रमुख काव्य-आचार्य ने ‘भक्ति रस’ को रसशास्त्र के अन्तर्गत मान्यता प्रदान नहीं की है।
जो भाव ईश्वर विषयक प्रेम नामक स्थाई भाव को उदबुद्ध करता है, उसे भक्ति रस माना जाता है।
भक्ति रस ईश्वर का विषयक प्रेम अनेक भावों में व्यक्त हो सकता है। इसमें नौ प्रकार की भक्ति स्वीकार गई गई है।जो नवधा भक्ति के रूप में विख्यात है – नाम, स्मरण, सेवन, पाद, अर्चन, वंदन, आत्मनिवेदन, दास्य, श्रवण, कीर्तन एवं सांख्य भाव।
भक्ति रस की सिद्धि का वास्तविक स्रोत काव्यशास्त्र न होकर भक्तिशास्त्र है। जिसमें मुख्यतया ‘गीता’, ‘भागवत’, ‘शाण्डिल्य भक्तिसूत्र’, ‘नारद भक्तिसूत्र’, ‘भक्ति रसायन’ तथा ‘हरिभक्तिरसामृतसिन्धु’ प्रभूति ग्रन्थों की गणना की जा सकती है।
भक्ति रस के अवयव –
रस का नाम | भक्ति रस |
स्थायी भाव | रति (प्रेम), दास्य |
आलंबन (विभाव) | इष्ट देव, भगवान, पूज्य व्यक्ति के प्रति श्रद्धा, परमेश्वर, राम, श्री कृष्ण, प्रभु,भगवान आदि। |
उद्दीपन (विभाव) | प्रभु की महानता, श्रवण, स्मरण, उपकारों का स्मरण, महानता के कार्य, कृपा, दया, कष्ट, परमात्मा के अद्भुत कार्यकलाप, सत्संग,श्रवण |
अनुभाव | सेवा, अर्चन, कीर्तन, वंदना, गुणगान, गुण, श्रवण, स्तुति वचन, प्रिय के लिए कष्ट सहना, शरणागति, , हर्ष, शोक, अश्रु, , कंप, भगवान के नाम तथा लीला का कीर्तन, आँखों से आँसुओं का गिरना, गदगद हो जाना, कभी रोना, कभी नाचना, आदि। |
संचारी भाव | हर्ष, आशा, गर्व, स्तुति, धृति, उत्सुकता, विस्मय, उत्साह, हार, लज्जा, निर्वेद, भय, विश्वास, संतोष, हर्ष, आदि। |
भक्ति रस के उदाहरण | Bhakti Ras Ke Udaharan
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई।
जाके सिर मारे मुकुट मेरो पति सोई॥
प्रभु जी तुम चंदन हम पानी,
जाकी गंध अंग-अंग समाही।
राम जपु, राम जपु, राम जपु, बावरे।
वाल्मिकी भए ब्रम्ह समाना।।
ना किछु किया न करि सक्या, ना करण जोग सरीर।
जो किछु किया सो हरि किया, ताथै भया कबीर कबीर।
राम-नाम छाड़ि जो भरोसो करै और रे।
तुलसी परोसो त्यागि माँगै कूर कौन रे।।
रामनाम गति, रामनाम गति, रामनाम गति अनुरागी।
ह्वै गए, हैं जे होहिंगे, तेई त्रिभुवन गनियत बड़भागी।।
जब-जब होइ धरम की हानी।
बाहिं असुर अधम अभिमानी।।
तब-तब प्रभु धरि मनुज सरीरा।
हरहिं कृपा निधि सज्जन पीरा।
एक भरोसे एक बल, एक आस विश्वास,
एक राम घनश्याम हित, चातक तुलसीदास।।
पायो जी मैंने, राम रतन धन पायो।
वस्तु अमोलिक दी मेरे सतगुरु,
किरपा करि अपनायो।
पायो जी मैंने, राम रतन धन पायो।
दुलहिनि गावहु मंगलचार
मोरे घर आए हो राजा राम भरतार ।।
तन रत करि मैं मन रत करिहौं पंच तत्व बाराती।
रामदेव मोरे पाहुन आए मैं जोवन मैमाती।।
जल में कुम्भ, कुम्भ में जल है, बाहर भीतर पानी
फूटा कुम्भ, जल जलही समाया, इहे तथ्य कथ्यो ज्ञायनी।
जमकरि मुँह तरहरि पर्यो, इहि धरहरि चित लाउ।
विषय तृषा परिहरि अजौं, नरहरि के गुन गाउ।।
दोस्तो हमने इस आर्टिकल में Bhakti Ras Ras in Hindi के बारे में पढ़ा। हमे उम्मीद है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। आपको यहां Hindi Grammar के सभी टॉपिक उपलब्ध करवाए गए। जिनको पढ़कर आप हिंदी में अच्छी पकड़ बना सकते है।