कर्तृवाच्य की परिभाषा, प्रकार, प्रयोग एवं इसके उदाहरण –
कर्तृवाच्य ( Active voice ) –
परिभाषा – जिस वाक्य में क्रिया का सीधा सम्बंध कर्त्ता से होता है, वहाँ कर्तृवाच्य होता है।
इसमें क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष सदा कर्ता के अनुसार रहते है।
जैसे –
✦ राम खाना खाता है।
✦ सीता पुस्तक पढ़ती है।
✦ राम रोटी खाता है।
कर्तृवाच्य में क्रिया रूप –
कर्तृवाच्य में क्रिया, कर्ता – कर्म एवं भाव तीनों के अनुसार हो सकती है, जिसे हिंदी व्याकरण मे ‘ भावे प्रयोग ‘ कहा जाता है।
1.कर्तृवाच्य – कर्तरी प्रयोग –
वे वाक्य जिनमें क्रिया कर्ता के अनुसार आती है, अर्थात क्रिया का लिंग, वचन कर्ता के अनुसार होता है । इसे ” कर्तृवाच्य – कर्तरी प्रयोग ” कहा जाता है ।
जैसे –
✦ राम आम खाता है। ( कर्ता- राम , पुल्लिंग अतः क्रिया भी पुल्लिंग )
✦ सीता गाना गाती है । ( कर्ता- सीता, स्त्रीलिंग अतः क्रिया भी स्त्रीलिंग )
✦ श्याम पुस्तक पढ़ता है ।
2. कर्तृवाच्य – कर्मणि प्रयोग –
वे वाक्य जिनमें क्रिया कर्ता के अनुसार न बदलकर कर्म के लिंग – वचन के अनुसार आती है । इसे ” कर्तृवाच्य – कर्मणि प्रयोग ” कहा जाता है ।
भूतकाल में सकर्मक क्रिया होने पर कर्ता के आगे ‘ने‘ कारक चिन्ह लगता है ।
जैसे –
✦ सीमा ने सेब खाया । ( कर्ता – स्त्रीलिंग , कर्म ( सेब ) – पुल्लिंग अतः क्रिया ( खाया) भी पुल्लिंग )
✦ राम ने चटनी खाई । ( कर्ता – पुल्लिंग , कर्म ( चटनी ) – स्त्रीलिंग , अतः क्रिया ( खाई ) भी स्त्रीलिंग ( कर्म के अनुसार )
✦ राम ने खीर बनाई ।
✦ सीता ने गाना गाया।
✦ श्याम ने ईमली खाई ।
3. कर्तृवाच्य – भावे प्रयोग –
वे वाक्य जिनमें क्रिया सदैव भावे रूप अर्थात एकवचन पुल्लिंग में होती है , इसे ” कर्तृवाच्य – भावे प्रयोग ” कहा जाता है ।
जैसे –
✦ राम ने श्याम को मारा ।
✦ माँ ने बच्चे को डाँटा ।
✦ राम ने पुस्तक को पढ़ा
कर्तृवाच्य के प्रयोग –
1. कर्तृवाच्य में सकर्मक और अकर्मक दोनों प्रकार की क्रियाओं का प्रयोग किया जाता है ।
जैसे –
✦ राम खाता है । ( अकर्मक क्रिया )
✦ सीता गाती है ।
✦ श्याम नाचता है ।
✦ राम आम खाता है । ( सकर्मक क्रिया )
✦ सीता गाना गाती है ।
✦ श्याम पानी पीता है ।
2. कर्ता के अपने सामर्थ्य या क्षमता को दिखाने के लिए सकरात्मक वाक्यों में क्रिया के साथ ‘सक ‘ के विभिन्न रूपों का प्रयोग किया जाता है।
जैसे –
✦ राम गाना गा सकता है ।
✦ वह अंग्रेजी बोल सकता है ।
3 . कर्तृवाच्य के असमर्थता सूचक वाक्यों में भी सक का प्रयोग किया जा सकता है ।
जैसे –
✦ मैं यह नौकरी नहीं कर सकता ।
✦ वह अब दुकान नहीं चला सकता ।
4 . कर्तृवाच्य के निषेधात्मक वाक्यों को कर्मवाच्य और भाववाच्य दोनों में बदला जा सकता है ।
कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाने के नियम –
✦ कर्तृवाच्य के साथ लगी विभक्ति को हटा दिया जाता है , यदि कर्ता के बाद ‘ ने ‘ विभक्ति लगी है तो उसे हटाकर ‘ द्वारा , से , के द्वारा ‘ लगा दिया जाता है ।
✦ कर्तृवाच्य की मुख्य क्रिया को सामान्य भूतकाल की क्रिया में बदला जाता है ।
✦ क्रिया के कर्म के लिंग – वचन – पुरुष के अनुसार रखना चाहिए अर्थात कर्म प्रधान बनाना चाहिए ।
कर्तृवाच्य | कर्मवाच्य |
वह दिन में पढ़ता है । | उससे दिन में पढ़ा जाता है । |
भगवान हमारी रक्षा करता है । | भगवान द्वारा हमारी रक्षा की जाती है । |
पुलिस ने चोर को पकड़ा । | पुलिस के द्वारा चोर को पकड़ा गया । |
राम आम खाता है । | राम से आम खाया जाता है । |
सीमा गाना गायेगी । | सीमा द्वारा गाना गाया गया । |
सीता खाना पकाती है । | सीमा द्वारा गाना गाया गया । |