लाटानुप्रास अलंकार की परिभाषा और इसके उदाहरण | Latanupras Alankar
लाटानुप्रास अलंकार की परिभाषा :-
जब कोई शब्द दो या दो से अधिक बार आए और अर्थ प्रत्येक बार एक ही हो परन्तु अन्वय (अर्थ) करने पर प्रत्येक बार अर्थ भिन्न हो तो लटानुप्रास होता है।
अथवा
जब कोई शब्द अनेक बार आए, और अर्थ प्रत्येक बार एक ही हो परन्तु अन्वय प्रत्येक बार अलग हो तो भिन्न शब्द के साथ हो, या यदि एक ही शब्द के साथ हो तो भिन्न प्रकार का हो।
यह अलंकार शब्दालंकार के छः भेद में से अनुप्रास अलंकार का भेद हैं।
लटानुप्रास अलंकार के उदाहरण –
- पूत कपूत तो क्यों धन संचय
पूत सपूत तो क्यों धन संचय
यहां पर कई शब्द दो बार आया हैं तथा पुत, तो, क्यों, धन, संचै। प्रथम बार सबका अन्वय सपूत के साथ है और दूसरी बार कपूत के साथ ।
(यहाँ पर ‘तो क्यों धन संचय’ शब्द समूह की आवर्ती हो रही है तो इसे लाटानुप्रास कहते हैं।) - राम-भजन-जाके अहै, विपती सुमंगल ताहि।
राम-भजन-जाके नहीं, विपती सुमंगल ताहि।
अनुप्रास अलंकार के भेद-
(i) छेका अनुप्रास
(ii) वृत्या अनुप्रास
(iii) श्रुत्या अनुप्रास
(iv) अन्तयानुप्रास
(v) लाटानुप्रास