श्लेष अलंकार की परिभाषा, भेद एवं इसके उदाहरण | श्लेष अलंकार किसे कहते है?

श्लेष अलंकार –
जब एक ही शब्द के प्रसंग अनुसार अलग-अलग अर्थ निकले वहां श्लेष अलंकार होता है।

श्लेष का अर्थ होता है चिपकना।

श्लेष अलंकार के उदाहरण:-
  1. जलने को ही स्नेह बना, उठने को ही वाष्प बना।
    उपयुक्त पंक्ति में एक या एक से अधिक शब्द ऐसे हैं जिनके एक से अधिक अर्थ हैं।
    जलने– जलाना, दुख उठाना
    स्नेह– तेल, प्रेम
    वाष्प– आर्द्रता, भाप।
  2. बलिहारी नृप-कूप की गुण बिन बूंद न देहि।
    उपयुक्त पंक्ति में एक या एक से अधिक शब्द ऐसे हैं जिनके एक से अधिक अर्थ हैं।
    राजा और कूप गुण बिना कुछ भी नहीं है।
    यहां पर गुण के दो अर्थ है – एक राजा के लगता है और दूसरा कूप के साथ। राजा के साथ अर्थ सद्गुण, और कूप के साथ रस्सी।
  3. नर की अरु नल-नीर की गति एकै करि जोय।
    जेतो नीचो है चलै, तेतो ऊँचो होय।
    नीचो – 1. गहरा, 2. विनयशील
    ऊँचो – 1. ऊपर उठा हुआ, 2. उन्नत, बड़ा।

नोट:- श्लेष अलंकार के भी दो भेद होते हैं।
1.सभंग
2.अभंग।

सभंग श्लेष का उदाहरण: वृषभानुजा और हलदर के बीर की जोड़ी कैसी अनूठी है।
उक्त पंक्ति में वृषभानुजा शब्द में सभंग श्लेष है।
वृषभ+अनुजा -बैल की बहन।
वृषभानु + जा- वृषभानु की पुत्री या राधा।

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