प्रायः पर्यायवाची शब्दों का अर्थ एक जैसा लगता है, परन्तु उनमे थोड़ा बहुत अंतर होता है। अधिकांश पर्यायवाची शब्द एकार्थक न होकर मिलते जुलते अर्थ वाले होते है। यह ऐसे हे शब्द दिए गए है, जो समानार्थक प्रतीत होते हुए भी भिन्नार्थक है ;
सूक्ष्म अर्थ भेद वाले शब्द ( Pairs of Words Distinguished )
1- अस्त्र – जो हथियार दूर से फेंका जाए जैसे – तीर
शस्त्र – जो हथियार हाथ से पकड़कर चलाया जाए जैसे – गदा
2- अर्पण – जब छोटे कोई वस्तु बड़ों को दें
प्रदान – जब बड़े कोई वस्तु छोटों को दें
3- आयु – प्राणी के जीवन का संपूर्ण समय
अवस्था– जन्म से लेकर वर्तमान समय तक की उम्र
4- अध्यक्ष – किसी संस्था का स्थायी प्रधान
सभापति – किसी कार्यक्रम या सभा का प्रधान
5-अभिनंदन – किसी व्यक्ति का प्रशंसापूर्ण स्वागत
अभिवादन – सादर प्रणाम
16-आविष्कार-किसी नई वस्तु का निर्माण
अनुसंधान – अज्ञात तथ्यों को प्रकाश में लाना
7- ईर्ष्या – दूसरों की उन्नति न सहन करते हुए मन में द्वेष – भाव रखना ।
स्पर्धा – दूसरों को उन्नति करते देखकर वैसी ही उन्नति करने की चाह करना
8- इच्छा – कुछ प्राप्त करने के लिए मन में उठने वाली स्वाभाविक चाह ।
लालसा – किसी वस्तु को हर कीमत पर अपने पास रखने की तीव्र इच्छा
लोभ – दूसरे की वस्तु पाने की इच्छा
9- अधिक – आवश्यकता से अधिक
पर्याप्त – आवश्यकतानुसार
10-उत्साह –काम करने की उमंग
साहस – भय या संकट में भी काम करने का संकल्प
11-कृपा – छोटों का कष्ट दूर करने की चेष्टा
दया – दूसरों का दुःख दूर करने की स्वाभाविक इला
12- अज्ञ – जिसे कुछ भी ज्ञान न हो
अनभिज्ञ-जिसे किसी विशेष घटना या कार्य की जानकारी न हो
13-जीवनी – दूसरे व्यक्ति द्वारा लिखा गया किसी का जीवन – चरित
आत्मकथा- स्वयं लिखा हुआ जीवन – चरित
14- दुर्बल – मानसिक रूप से कमजोर
निर्बल – शारीरिक रूप से असमर्थ
15- दुःख – मानसिक कष्ट का सहज अनुभव
विषाद – गहरा दुख
16- शोक – प्रिय जन की मृत्यु से उत्पन्न दु:ख
खेद – गलती करने पर दुःख प्रकट करना
17- निंदा – किसी के गुणों की उपेक्षा कर केवल त्रुटियाँ बताना
आलोचना – गण और दोष दोनों प्रकट करना
18-वात्सल्य- छोटे बच्चों के प्रति माता – पिता की दुलार की भावना
स्नेह – समानता के आधार पर मित्रों , प्रियजनों के प्रति स्वाभाविक प्रीति
19- प्रेम – लगाव के कारण उत्पन्न अपनापन
प्रणय – पति – पत्नी या प्रेमी – प्रेमिकाओं का आपसी लगाव
20 -पूजा – ईश्वर का स्मरण , ध्यान , दीप , धूप द्वारा पूजन
अर्चना – परंपरागत कर्मकांड विधि से पूजन
21-श्रद्धा – बड़ों के प्रति सम्मानपूर्ण प्रेम भावना
भक्ति – ईश्वर या गुरु के प्रति अपने को अत्यंत हीन मानकर श्रद्धायुक्त पूज भावना
22- पाप – धर्म और प्रकृति के नियमों का उल्लंघन
अपराध – समाज के कानून अथवा सरकारी अनुशासन को तोड़ना
23-पत्नी- किसी की विवाहिता स्त्री
स्त्री – कोई भी महिला
23- श्रम – शारीरिक और मानसिक शक्तियों को उपयोग में लाना
परिश्रम- शारीरिक शक्तियों को उपयोग में लाना
24- दुर्गम – जहाँ पहुँचना कठिन हो
अगम – जहाँ पहुँचा ही न जा सके
25-विवेक- अच्छाई और बुराई को परखने की क्षमता
ज्ञान – किसी विषय की जानकारी ।
27-आवश्यक- जरूरी
अनिवार्य – जिसके बिना कार्य संभव न हो
28- तृप्ति – इच्छा की समाप्ति
संतोष – जितना मिल पाए , उसी से खुश हो जाना
29- अनुभव – व्यवहार या अभ्यास से प्राप्त ज्ञान
अनुभूति – चिंतन या मनन से प्राप्त आंतरिक ज्ञान
30-आमंत्रण- किसी शुभ अवसर पर सम्मिलित होने की प्रार्थना
निमंत्रण – भोजन , विवाह आदि के अवसर पर बुलाना
31- सदाचार – पवित्र जीवन बिताने हेतु व्यक्तिगत आचरण में धार्मिक और नैतिक कर्तव्यों का पालन करना
शिष्टाचार- सभ्य समाज के प्रचलित सम्मान के नियमों का पालन करना
32-लज्जा –भय , शर्म या आशंका के कारण कोई काम करने में संकोच का भाव
ग्लानि – बुरा काम कर चुकने के पश्चात् मन में उठी पश्चाताप की भावना
33-अमूल्य- जिसकी कीमत का अंदाजा न लगाया जा सके
बहुमूल्य –बहुत ज्यादा कीमती
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